चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को बिहार में SIR के पहले चरण के तहत वोटर ड्राफ्ट लिस्ट जारी की। इस ड्राफ्ट पर केवल 5015 व्यक्तिगत आवेदन ही मिले—नाम जोड़ने या हटाने के लिए। हालांकि, किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा कोई आपत्ति नहीं दी गई, जो इस प्रक्रिया की निष्पक्षता पर ईसीआई के तर्क को मजबूत बनाती है।
ECl ने स्पष्ट किया कि किसी भी पार्टी ने 24‑घंटे की आपत्ति अवधि में कोई दावा या विरोध दर्ज नहीं कराया. लेकिन 35 लाख मतदाता ऐसे पाए गए जिनका पता नहीं मिल पाया या वे प्रवासित थे, जबकि लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट से हटाए गए, जिन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ECI को 9 अगस्त तक स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं ।
CPI(ML) ने भी आयोग की प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों तक बूथ-स्तरीय डेटा नहीं भेजा गया, जिससे यह समझना संभव नहीं कि किन मतदाताओं को क्यों हटाया गया—यह पारदर्शिता की कमी दर्शाता है ।
DIGVIJAYA SINGH जैसे विपक्षी नेताओं ने SIR प्रक्रिया को विधिविहीन एवं विसंगत बताया और आरोप लगाया कि यह गरीब, मजदूर और प्रवासी मतदाताओं को बाहर करने का प्रयास है ।