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हम नहीं चाहते और खून बहे; जानें कोर्ट रूम के अंदर CJI और वकीलों के बीच क्या-क्या बहस हुई?

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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के मुद्दे और कृषि कानूनों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कई मसलों पर फटकार लगाई और एक समिति की सुझाव दिया। हालांकि, आज इस मसले पर फिर सुनवाई होगी और उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

किसानों के साथ संवेदनशील रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उनसे कहा कि बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों को घर भेजें। आखिर इतनी ठंड में ये आंदोलन में क्यों हैं? यदि हम कानूनों को स्थगित कर देंगे तो आंदोलन के लिए कुछ नहीं रह जाएगा। तो चलिए पढ़तें है कोर्ट के भीतर चीफ जस्टिस और वकीलों के बीच बातचीत का अंश।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे : मुझे जोखिम लेने दीजिए और कहने दीजिए। मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि वे (आंदोलनकारी किसान) वापस अपने घर लौटें।

हरीश साल्वे : ..लेकिन, कोर्ट को यह ध्यान में रखना चाहिए कि इस तरह से अन्य कानूनों को भी स्टे करने की मांग उठेगी। यदि कोर्ट स्टे कर रहा है तो इनसे आश्वासन लीजिए कि ये कमेटी के साथ प्रावधानवार बहस करने को तैयार हैं।

किसानों के वकील दुष्यंत दवे : इसके लिए उन्हें किसानों से बात करनी होगी, क्योंकि 400 संगठन हैं।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे : समिति में सरकार और देश भर के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। समिति की सलाह होगी तो वह इन कानूनों के अमल पर रोक लगा देगा। किसान इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और वे अपनी आपत्तियां समिति के समक्ष रख सकते हैं। किसान हम पर भरोसा करें या नहीं, हम शीर्ष कोर्ट हैं और हम अपना काम करेंगे।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल : सरकार 15 जनवरी को एक और वार्ता करना चाह रही है। कोर्ट कानूनों को स्टे नहीं कर सकता। ये एक अतिवादी कदम होगा।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे : नहीं, हम और आलोचना नहीं झेल सकते। हम आज ही आदेश पारित करेंगे। हमें नहीं लगता कि आप प्रभावी हो रहे हैं। कानून को स्थगित कर दिया जाए तो बातचीत से कोई रास्ता निकल सकता है। हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आप समस्या का समाधान है या समस्या हैं।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल: वे 26 जनवरी को 2000 ट्रैक्टर की रैली निकालना चाहते हैं।

किसानों के वकील : हम ऐसी कोई रैली नहीं निकाल रहे।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे : यह अच्छी बात है, लेकिन कानून व्यवस्था का मुद्दा पुलिस देखेगी। पर जिस तरह से प्रदर्शन चल रहा है, उसमें कभी भी गड़बड़ हो सकती है। हम नहीं चाहते कि हिंसा हो और खून बहे।

एस जी तुषार मेहता : कोर्ट ने सरकार के प्रति बहुत सख्त टिप्पणियां की हैं।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे

गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब सवा महीने से डटे प्रदर्शनकारी किसानों के आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में नए कृषि कानूनों और किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर आज यानी मंगलवार को अपना आदेश सुनाएगा। संभव है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार औक किसानों के बीच जारी इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से देश के किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दे।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि वह कृषि कानूनों और किसानों के आन्दोलन से संबंधित मुद्दों पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है।

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