भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक बार फिर अपने बेबाक बयान से अंतरराष्ट्रीय मंच पर ध्यान खींचा है। हाल ही में हुए एक संवाद कार्यक्रम में उन्होंने यूरोपीय देशों पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा, “भारत उपदेश सुनने का इच्छुक नहीं है, हम ऐसे देशों की तलाश में हैं जो हमारे साथ सहयोग करें, न कि हमें दिशा निर्देश दें।”
जयशंकर ने यह बयान वैश्विक राजनीति और साझेदारी के बदलते स्वरूप पर चर्चा के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक संतुलन में भारत की भूमिका तेजी से बढ़ रही है और अब समय आ गया है कि पश्चिमी देश भारत को एक मजबूत साझेदार के रूप में स्वीकार करें, न कि एक विकासशील राष्ट्र जिसे सिर्फ सलाह दी जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति अब आत्मविश्वासी है और अपने हितों को प्राथमिकता देती है। उन्होंने पश्चिमी देशों को यह संदेश दिया कि भारत अपने फैसले स्वयं लेने में सक्षम है और उसे ‘मॉरल लेक्चर’ नहीं, बल्कि सम्मानजनक सहयोग की आवश्यकता है।