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तलाक-ए-हसन क्या है? सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहा है मुसलमानों का ये तलाक तरीका—जानिए पूरा विवाद और असर

तलाक-ए-हसन क्या है? सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहा है मुसलमानों का ये तलाक तरीका—जानिए पूरा विवाद और असर

सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हो रही है, जिसमें उन्होंने तलाक-ए-हसन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। यह तरीका शरिया कानून के तहत एकतरफा तलाक का एक रूप है, जिसमें पुरुष को अपनी पत्नी को तीन माह में एक-एक बार ‘तलाक’ शब्द कहकर तलाक देने का अधिकार होता है। यदि इस अवधि में पति-पत्नी के बीच सुलह नहीं होती, तो तलाक मान्य हो जाता है। यह प्रक्रिया ‘तलाक-उल-सुन्नत’ के तहत आती है, जिसे इस्लाम में एक उचित और सोच-समझकर लिया गया तलाक माना जाता है।

याचिकाकर्ता, गाज़ियाबाद की पत्रकार बेनज़ीर हीना, ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलते और यह उनके सम्मान और जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन बताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) से अपनी राय मांगी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले की अंतिम सुनवाई 19-20 नवंबर को निर्धारित की है।

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