Home ताजा हलचल क्यों भारत चाहकर भी रूस का विरोध नहीं कर सकता? जानिए वजह

क्यों भारत चाहकर भी रूस का विरोध नहीं कर सकता? जानिए वजह

0

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान भारत देश-विदेश में काफी में चर्चा है. इसका कारण है भारत का दोनों देशों में से किसी का भी खुलकर समर्थन न करना. भारत के दोनों देशो में ही अच्छे रिश्ते हैं. एक तरफ जहां पूरा यूरोप और पश्चिमी देश रूस के खिलाफ हो चुके हैं वहीं भारत अपनी स्थिति को तटस्थ बनाए हुए है. फिलहाल भारत ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध को तत्काल खत्म करने की अपील की है. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वो कौन सी वजहें हैं जिसके कारण भारत रूस का विरोध नहीं कर पा रहा?

आईये जानते हैं:

  1. भारत एक समय में दोनों तरफ अपना समर्थन जाहिर नहीं कर सकता. यही कारण है कि भारत ने पूरे मामले में किसी देश का नाम नहीं लिया है. ये बात दर्शाती है कि भारत रूस के खिलाफ नहीं जाएगा. अगर अमेरिका रूस पर पाबंदियां लगाता है तो भारत के लिए रूस से हथियारों को आयात करने में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं.
  2. रूस पर लगने वाली पाबंदियों के कारण भारत को रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में और भी कई झटके लग सकते हैं. इसमें संयुक्त रूप से विकसित किया जाने वाला ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के निर्यात, एक साथ 4 युद्धपोत बनाने का समझौता, रूस से Su-MKI और MiG-29 लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी असर हो सकता है.
  3. उधर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दखल को रोकने के लिए अमेरिका को रणनीतिक रूप से भारत के साथ की जरूरत है. ऐसे में भारत और अमेरिका, दोनों ही देश किसी भी हाल में एक-दूसरे से दूर जाने के जोखिम को उठाना नहीं चाहेंगे.
  4. वर्तमान में रूस भारत का सबसे ज्यादा हथियार सप्लायर है. वो भारत द्वारा आयात किए जाने वाले रक्षा उपकरणों का 60 फीसदी हिस्सा रूस से आता है. ऐसे में भारत किसी भी सूरत में रूस के खिलाफ जाकर अपने रिश्तों की बलि नहीं चढ़ाना चाहेगा.
  5. रूस वर्तमान में भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसे उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है, जो चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है.
  6. भारत के लिए रूस के साथ संबंधों और उससे मिले सहयोग के दशकों के इतिहास की अनदेखी करना कठिन है. रूस ने अतीत में विवादित कश्मीर मुद्दे पर UNSC के प्रस्तावों को भारत के पक्ष में वीटो किया था ताकि भारत को इसे द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखने में मदद मिल सके. इस संदर्भ में, भारत गुटनिरपेक्षता और मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत को बढ़ावा देने की अपनी पुरानी और प्रसिद्ध रणनीति का पालन करता हुआ नजर आ रहा है, जिसमें शांति और बातचीत से विवाद को सुलझाना शामिल है.
  7. वर्तमान में यूक्रेन के हालातों से भारत बेशक सहज न हो लेकिन वो अपने रूख में बदलाव नहीं कर यूक्रेन के पक्ष में नहीं जा सकता. अपनी रक्षा और भू-राजनीतिक जरूरतों के कारण भारत ऐसा करने का जोखिम नहीं उठा सकता है. भारत के सामने यूक्रेन में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों को निकालने की भी चुनौती है, जिनमें ज्यादातर छात्र हैं. युद्ध ग्रस्त यूक्रन से भारतीयों को सुरक्षित और सफलतापूर्वक निकालने के लिए भारत को युद्ध में शामिल दोनों देशों से सुरक्षा आश्वासन की आवश्यकता है. ऐसे में अगर भारत का रुख किसी भी एक देश की तरफ झुका दिखता है तो वहां मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है और भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डालने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगा.
  8. हालांकि, इस मामले भारत एक बेहतर स्थिति में है क्योंकि यह उन कुछ देशों में से एक है जिनके अमेरिका और रूस, दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की है और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने वाशिंगटन में अधिकारियों के साथ भी बातचीत की है. इसके अलावा मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ भी बातचीत की है.
  9. अगर वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगी रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाना जारी रखते हैं, तो भारत के लिए रूस के साथ व्यापार करना जारी रखना मुश्किल हो सकता है. हालांकि, अमेरिका इस समय भारत की स्थिति को समझ रहा है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह ऐसा करना जारी रखेगा. अगर अमेरिका का रूख बदलता है तो S-400 की खरीद पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version