नीति सम्मेलन और पार्टी चुनाव के बीच 23 जून 2025 को ललू प्रसाद यादव ने 28 वर्षों से राजद अध्यक्ष के पद के लिए फिर नामांकन भरा, और इस बार भी कोई चुनौती नहीं दर्ज हुई । तेजस्वी यादव को zwar मुख्यमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया है, लेकिन अध्यक्ष पद संभालने का मौका अब तक उन्हें क्यों नहीं मिला, इसके पीछे कई राजनीतिक और पारिवारिक कारण नजर आते हैं।
सबसे पहला कारण है चुनावी रणनीति: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अगर अध्यक्ष पद पर बदलाव होता है, तो इससे राजद परिवार और पार्टी के यादव‑मुस्लिम वोट बैंक में असमंजस पैदा हो सकता है । दूसरे, तेज प्रताप यादव के स्कैंडल (अनुष्का यादव वीडियो) और इसके बाद उनका निष्कासन, परिवार में चल रही कलह और अंदरूनी टकराव का संकेत देता है । ऐसे समय में ललू ही पार्टी की कमान थामे रहना चाहते हैं, ताकि कोई अंदरूनी विवाद बड़ी समस्या न बन जाए।
इसके अलावा, ललू की बीमारी या उम्र को लेकर उपदेश भी हो रहे हैं, लेकिन पार्टी ने साफ कहा है कि वह सक्रिय हैं और संगठन चलाने में सक्षम हैं। तेजस्वी को निर्णयों में प्रमुख भूमिका दी जा रही है, पर अध्यक्षता सौंपने की जगह अभी केवल मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में उन्हें आगे रखा गया है।
इस तरह, 2025 में भी राजद अध्यक्षता ललू प्रसाद यादव के पास बनी रही ताकि चुनावी मोर्चे पर मजबूती, वोट बैंक में स्थिरता और पारिवारिक नियंत्रण बने रहें।