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चुनाव आयोग के नए नियम के मुताबिक उत्तराखंड में खड़ा हुआ संवैधानिक संकट

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चुनाव आयोग

अब फिर से उत्तराखंड में सीएम के बदलने के कयास शुरू हो गए हैं.‌ 2019 में बीजेपी से पौढ़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने तीरथ सिंह रावत ने अब तक अपने सांसद पद से ‘इस्तीफा’ नहीं दिया है.‌

बता दें कि ‘चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के तहत ऐसे राज्य में जहां चुनाव होने में एक साल का समय बचा हो और उपचुनाव के लिए रिक्त हुई सीट अगर एक साल से कम समय में रिक्त हुई है तो चुनाव नहीं होगा’. लिहाजा उत्तराखंड में अभी मौजूदा वक्त में दो विधानसभा सीट रिक्त हैं.

पहली गंगोत्री सीट जो कि अप्रैल में गोपाल सिंह रावत के निधन की वजह से रिक्त हुई और दूसरी सीट है हल्द्वानी जो कि इसी माह में कांग्रेस की कद्दावर नेता कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश के निधन की वजह से खाली हुई हैं.

मौजूदा नियम के मुताबिक दोनों सीट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय होने के बाद रिक्त हुई है. लिहाजा इन पर चुनाव नहीं हो सकता है. संवैधानिक नियम के मुताबिक मौजूदा सीएम तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना होगा, क्योंकि उन्होंने 10 मार्च 2021 को सीएम पद की शपथ ली थी और उन्हें 9 सितंबर 2021 तक उत्तराखंड में विधानसभा का सदस्य बनाना है. मालूम हो कि ‘उत्तराखंड में दिवंगत एनडी तिवारी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच साल पूरा कार्यकाल नहीं कर पाया है’.

उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जरूर चार साल पूरे किए थे लेकिन वह भी अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाए. दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस ने तीरथ सरकार पर हमला बोला है. राज्य की कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि अब प्रदेश में फिर राजनीतिक और संवैधानिक संकट आ चुका है.

अब भाजपा या तो विधायक दल से कोई मुख्यमंत्री घोषित करे या फिर राष्ट्रपति शासन लगे. फिलहाल उत्तराखंड को लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व फिर दुविधा में फंसा हुआ है. अगर अब आलाकमान तीरथ सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाता है तो उसका राज्य की जनता में सीधा गलत संदेश जाएगा.

दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उत्तराखंड की सियासत में पहली बार जमीन तलाशने उतरी आम आदमी पार्टी ने राज्य में भाजपा सरकार की किरकिरी करने की तैयारी कर ली है.

अब फिर से पूरे उत्तराखंड में सीएम के बदलने के कयास शुरू हो गए हैं.‌ 2019 में बीजेपी से पौढ़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने तीरथ सिंह रावत ने अब तक अपने सांसद पद से ‘इस्तीफा’ नहीं दिया है.‌

बता दें कि ‘चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के तहत ऐसे राज्य में जहां चुनाव होने में एक साल का समय बचा हो और उपचुनाव के लिए रिक्त हुई सीट अगर एक साल से कम समय में रिक्त हुई है तो चुनाव नहीं होगा’. लिहाजा उत्तराखंड में अभी मौजूदा वक्त में दो विधानसभा सीट रिक्त हैं. पहली गंगोत्री सीट जो कि अप्रैल में गोपाल सिंह रावत के निधन की वजह से रिक्त हुई और दूसरी सीट है हल्द्वानी जो कि इसी माह में कांग्रेस की कद्दावर नेता कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश के निधन की वजह से खाली हुई हैं.

मौजूदा नियम के मुताबिक दोनों सीट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय होने के बाद रिक्त हुई है. लिहाजा इन पर चुनाव नहीं हो सकता है . संवैधानिक नियम के मुताबिक मौजूदा सीएम तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना होगा, क्योंकि उन्होंने 10 मार्च 2021 को सीएम पद की शपथ ली थी और उन्हें 9 सितंबर 2021 तक उत्तराखंड में विधानसभा का सदस्य बनाना है. मालूम हो कि ‘उत्तराखंड में दिवंगत एनडी तिवारी को छोड़कर कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच साल पूरा कार्यकाल नहीं कर पाया है’.

उसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जरूर चार साल पूरे किए थे लेकिन वह भी अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाए. दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस ने तीरथ सरकार पर हमला बोला है. राज्य की कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि अब प्रदेश में फिर राजनीतिक और संवैधानिक संकट आ चुका है.

अब भाजपा या तो विधायक दल से कोई मुख्यमंत्री घोषित करे या फिर राष्ट्रपति शासन लगे. फिलहाल उत्तराखंड को लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व फिर दुविधा में फंसा हुआ है. अगर अब आलाकमान तीरथ सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाता है तो उसका राज्य की जनता में सीधा गलत संदेश जाएगा.

दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उत्तराखंड की सियासत में पहली बार जमीन तलाशने उतरी आम आदमी पार्टी ने राज्य में भाजपा सरकार की किरकिरी करने की तैयारी कर ली है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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