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नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को चुकाना होगा बिजली-पानी का बकाया बिल

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नैनीताल हाईकोर्ट


नैनीताल| उत्तराखंड सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी कर कहा है कि वो बिजली-पानी का बिल जमा करें. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों- विजय बहुगुणा, बी.सी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक और महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से बकाया बिल जमा कराने को कहा गया है.

साथ ही प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय एन.डी तिवारी की पत्नी को भी यह पैसा जमा करने को कहा गया है. हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए सरकार ने यह नोटिस जारी किया है. सोमवार 14 सितंबर को इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.

हालांकि राज्य के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है, लिहाजा सर्वोच्च अदालत के फैसले तक इसकी सुनवाई टाल दी जाए.

दरअसल हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार को अवमानना का नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों अब तक उसके आदेश का पालन नहीं किया गया है.

इस पर मुख्य सचिव ने जवाब दाखिल कर कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, बी.सी खंडूरी, भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक ने आवास का किराया जो सरकार ने तय किया वो जमा कर दिया है.

जवाब में यह भी कहा गया है कि पूर्व सीएम कोश्यारी के नाम 11 लाख, विजय बहुगुणा पर चार लाख, बी.सी खंडूरी पर 3.89 लाख, निशंक के नाम 10.60 लाख, स्व. नारायण दत्त तिवारी पर 21.75 लाख रुपए पानी का बिल अभी लंबित है.

हाईकोर्ट को दिए जवाब में कहा गया है कि बिजली, पेट्रोल, टेलीफोन समेत अन्य भुगतान के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को लिखा गया है कि वो बकाया पैसा जमा करें.

मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा नौ जून, 2020 के आदेश के खिलाफ आठ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है जो सुप्रीम कोर्ट की डायरी में दर्ज है.

बता दें कि तीन मई, 2019 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया मामले में आदेश जारी कर छह महीने के भीतर सुविधाओं का बकाया देने आदेश दिया था.

साथ ही सरकार से कहा था कि इनके अन्य भत्तों का भी ब्यौरा तैयार कर उनसे वसूली की जाए.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को निर्देश दिया था कि अगर यह पैसा जमा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

हालांकि बाद में राज्य सरकार एक एक्ट लेकर आई थी जिसको हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया था. जिसके बाद इस मामले में अवमानना याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.

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