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भारत-चीन सीमा विवाद पर सेना प्रमुख जनरल का बड़ा बयान, 6 महीनों से स्थिति सामान्य- बातचीत से निकलेगा हल

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे

शनिवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भारत-चीन सीमा विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमें उम्‍मीद है कि अक्‍टूबर के दूसरे सप्‍ताह में 13वें दौर की वार्ता होगी. पिछले 6 महीनों में स्थिति काफी सामान्य रही है.

हम इस बात पर आम सहमति पर पहुंचेंगे कि डिसएंगेजमेंट कैसे होगा. जहां-जहां विवाद है वहां-वहां हल निकाला जाएगा. मेरा दृढ़ मत है कि हम अपने मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझा सकते हैं. मुझे आशा है कि हम परिणाम प्राप्त करने में सक्षम होंगे.

सेना प्रमुख ने कहा कि चीनियों ने हमारे पूर्वी कमान तक पूरे पूर्वी लद्दाख और उत्तरी मोर्चे पर काफी संख्या में तैनाती की है. निश्चित रूप से अग्रिम क्षेत्रों में उनकी तैनाती में वृद्धि हुई है जो हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

हम उनकी सभी गतिविधियों पर नियमित रूप से नजर रख रहे हैं. हमें मिली जानकारी के आधार पर हम बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सैनिकों के मामले में भी समान विकास कर रहे हैं, जो किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं. फिलहाल, हम किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

भारतीय सेना ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लद्दाख सेक्टर में K9-वज्र स्व-चालित हॉवित्जर रेजिमेंट को तैनात किया है. यह तोप लगभग 50 किमी की दूरी पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकती है. के-9 वज्र तोपों पर सेना प्रमुख ने कहा कि ये तोपें ऊंचाई वाले इलाकों में भी काम कर सकती हैं, फील्ड ट्रायल बेहद सफल रहे. हमने अब एक पूरी रेजिमेंट जोड़ ली है, यह वास्तव में मददगार होगा.

वहीं पाकिस्तान पर उन्होंने कहा कि फरवरी से जून के अंत तक पाक सेना द्वारा संघर्ष विराम का उल्लंघन नहीं किया गया था. लेकिन हाल ही में घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि हुई है जो संघर्ष विराम उल्लंघन द्वारा समर्थित नहीं थे. 10 दिनों में 2 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हो चुका है.

स्थिति फरवरी से पहले के दिनों में वापस आ रही है. हमने हर हफ्ते होने वाले हॉटलाइन संदेशों और डीजीएमओ स्तर की वार्ता के माध्यम से अवगत कराया है कि उन्हें (पाकिस्तान) आतंकवाद से संबंधित किसी भी गतिविधि को समर्थन नहीं देना चाहिए.

इसके अलावा अफगानिस्तान पर जनरल ने कहा कि हम नियमित रूप से अफगानिस्तान की स्थिति और इसके संभावित प्रभावों और नतीजों पर नजर रखे हुए हैं. यह किस रूप में होगा, यह कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन हम देख रहे हैं.

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