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भवानीपुर उपचुनाव: टीएमसी से आर पार की लड़ाई के मूड में बीजेपी, खास अंदाज में किया चुनाव प्रचार

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कोलकाता| पश्चिम बंगाल की हाईप्रोफाइल भवानीपुर सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव होना है, जहां से प्रदेश की मुख्‍यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी पार्टी की प्रत्‍याशी होंगी.

बीजेपी ने यहां से प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारा है, जो बंगाल हिंसा पीड़‍ितों का केस लड़ चुकी हैं. बीजेपी यहां टीएमसी से आर या पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रही है और पार्टी ने इसके लिए अपने चुनाव अभियान की शुरुआत भी कर दी है.

बीजेपी के प्रदेश अध्‍यक्ष दिलीप घोष और भवानीपुर उपचुनाव में पार्टी की ओर से प्रत्‍याशी प्रियंका टिबरेवाल ने भवानीपुर में एक दीवार पर पार्टी के चुनाव चिह्न कमल की पेंटिंग बनाकर चुनाव अभियान की शुरुआत की.

इस दौरान बीजेपी ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार के ख‍िलाफ जमकर हमला बोला तो यह भी कहा कि उनकी लड़ाई बंगाल के लोगों के लिए है, जिनके अधिकारों को टीएमसी सरकार उनसे छीन रही है.

भवानीपुर में बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्‍यख दिलीप घोष ने टीएमसी प्रमुख पर सियासी वार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी को लगता था कि वह नंदीग्राम से चुनाव जीत जाएंगी. इसलिए विधानसभा चुनाव में वह यहां से चुनाव लड़ीं, लेकिन उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. राजनीति में कब क्‍या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. प्रियंका टिबरेवाल की तारीफ करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि उन्‍होंने बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीड़‍ितों को न्‍याय दिलाने की लड़ाई लड़ी है.

वहीं, प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि उनकी लड़ाई पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए है, जिनके अधिकारों को छीना जा रहा है. टीएमसी सरकार पर आरोप लगाते हुए बीजेपी नेता ने कि पश्चिम बंगाल के लोगों को जीने का हक है. लेकिन ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार प्रदेश की जनता से यह हक छीन रही है. उन्‍होंने कहा, ‘मेरी लड़ाई इसी के खिलाफ है. मैं यहां बंगाल के लोगों के लिए लड़ रही हूं.’

भवानीपुर उपचुनाव के लिए प्रियंका टिबरेवाल सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगी, जबकि ममता बनर्जी 10 सितंबर को ही यहां से पर्चा भर चुकी हैं. सीएम पद पर बने रहने के लिए ममता बनर्जी के लिए इस चुनाव में जीत बेहद अहम है.

ममता बनर्जी इस वक्‍त विधानसभा की सदस्‍य नहीं हैं और संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, सीएम पद पर बने रहने के लिए उन्‍हें शपथ-ग्रहण के छह महीने के भीतर विधानसभा की सदस्‍यता लेनी है. उन्‍होंने 5 मई को सीएम पद की शपथ ली थी और इस लिहाज से उन्‍हें 5 नवंबर तक विधानसभा की सदस्‍यता लेने की आवश्‍यकता है.

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