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भाजपा विधायक महेश नेगी डीएनए टेस्ट को तैयार, गिरफ़्तारी की आशंका पर 72 घंटे बाद दर्ज करवाए बयान

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भाजपा विधायक महेश नेगी


देहरादून| उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा का केंद्र बने भाजपा विधायक महेश नेगी यौन शोषण कांड बुधवार शाम नया मोड़ आया जब 72 से गायब विधायक ने देर शाम देहरादून में पुलिस के पास पहुंच कर अपने बयान दर्ज करवाए. दरअसल तीन दिन तक विधायक के बयान दर्ज तक न करने की वजह से पुलिस की आलोचना हो रही थी और पीड़िता ने पुलिस पर एकतरफ़ा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट जाने की धमकी दी थी.

इसके बाद देर शाम देहरादून के डीआईजी ने जांच अधिकारी को बदल दिया और जांच में सहयोग न करने वाले की गिरफ़्तारी के आदेश दे दिए थे. आखिरकार विधायक पुलिस के पास पहुंचे और बयान दर्ज करवाया.

बता दें कि बीते शुक्रवार 14 अगस्त को द्वाराहाट के बीजेपी विधायक महेश नेगी की पत्नी रीता नेगी ने एक महिला के ख़िलाफ़ ब्लैकमेलिंग की तहरीरदी थी. इसमें आरोप था कि द्वाराहाट निवासी महिला विधायक पर यौन शोषण का आरोप लगाने की धमकी दे रही है और ऐसा न करने के लिए पांच करोड़ रुपये की फ़िरौती मांग रही है.

मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आरोपित महिला से पूछताछ की. इसके बाद उसने भी विधायक के ख़िलाफ़ तहरीर दी कि विधायक महेश नेगी ने उसको मदद के नाम पर उसके साथ दुराचार किया और बाद में उसको हल्द्वानी के साथ ही डरा धमका कर नेपाल, मसूरी, यूपी अलग-अलग इलाकों में ले जाकर शाररिक संबन्ध बनाए थे. महिला ने यह भी दावा किया कि उसकी नवजात बच्ची के पिता विधायक महेश नेगी हैं इसलिए कोर्ट के माध्यम से उसका डीएनए टेस्ट करवाया जाए.
एकतरफ़ा कार्रवाई

पुलिस ने विधायक की पत्नी की तहरीर पर तो एफ़आईआर दर्ज कर ली लेकिन आरोपित या पीड़ित महिला की तहरीर पर नहीं. देहरादून के पुलिस कप्तान डीआईजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि वह तहरीर भी इसी मुकदमे के साथ जोड़ी जाएगी.

हालांकि बुधवार को पुलिस के पास बयान दर्ज करवाने पहुंची पीड़िता ने पुलिस पर एकतरफ़ा कार्रवाई करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह इंसाफ़ के लिए हाईकोर्ट जाएगी. इसके बाद देर शाम पुलिस ने इस केस की जांच सीओ नेहरु कॉलोनी पल्लवी त्यागी से छीनकर सीओ सदर अनुज कुमार को सौंप दी. डीआईजी ने यह भी कहा कि जांच में सहयोग न करने वालों की गिरफ़्तारी की जाएगी.

इसके बाद विधायक महेश नेगी देर शाम सीओ सदर अनुज कुमार के ऑफिस पहुंचे और अपना बयान दर्ज करवाया.बता दें कि पीड़िता की यही मुख्य मांग है. उसका कहना है कि वह इसी वजह से पुलिस के सामने नहीं आई थी क्योंकि उसकी विधायक से बात चल रही थी कि वह उसकी बेटी को अपना नाम दें.

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