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पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा अध्यक्ष नड्डा बिहार में नियमों को पीछे धकेल चुनावी सभा में कूद पड़े

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भाजपा की सरकार केंद्र में है. कोरोना महामारी से बचने के लिए केंद्र ही राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश देता आया है. ‘कोविड-19 बचाव के लिए पीएम मोदी पिछले सात महीने से लगातार देश की जनता को जागरूक करने में लगे हुए हैं, लेकिन उनके ही पार्टी के मुखिया केंद्र की कोरोना गाइडलाइन से कोई इत्तेफाक नहीं रखते हैं’.

बात जो सत्ता में वापसी की है. चर्चा आगे बढ़ाने से पहले इस गाने की चंद लाइन आपको सुना देते हैं. ‘मझधार में नैय्या डोले, तो माझी पार लगाए, माझी जो नाव डुबोए उसे कौन बचाए’ ? यह बात लागू होती है मोदी सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर.

‘रविवार को राजधानी दिल्ली से सीना तानकर निकले थे कि बिहार विधानसभा चुनाव में कोविड-19 में मोदी सरकार के नियमों का पूरी तरह से पालन करूंगा, लेकिन बिहार पहुंचते-पहुंचते नियमों को जेपी नड्डा ने दरकिनार कर दिया’.

‘भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं का उत्साह और जुनून देखकर धार्मिक नगरी गया में रविवार शाम एक चुनावी सभा में कूद पड़े’. बिहार चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने एक सार्वजनिक रूप से जनसभा करके शंखनाद भी कर दिया.

‘नड्डा सोच रहे होंगे दिल्ली में बैठे भाजपा आलाकमान खुश होंगे, पार्टी में मेरे नंबर भी बढ़ेंगे’.मंच से भाजपा अध्यक्ष की हुंकार से कार्यकर्ताओं में भी जोश उमड़ आया, उन्होंने भी महामारी की गाइडलाइन की खूब जमकर धज्जियां उड़ाईं. गया की रैली में नड्डा ने जम कर मोदी सरकार की उपलब्धियां तो गिनाईं लेकिन उन्हीं के कोरोना नियमों को भूल गए.


भाजपा की पहली जनसभा में मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखाई दी

कोरोना महामारी के बीच हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में नेताओं की जनसभा शुरू हो गई है. कोरोना काल की पहली जनसभा गया शहर में हुई, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए उम्मीदवारों के लिए वोट मांगा. पूरी जनसभा के दौरान कहीं भी नहीं लगा कि कोरोना नियमों का पालन किया जा रहा है.‌

बता दें कि ‘भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इससे पहले मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं उनको कम से कम इस महामारी के नियमों का पालन करना चाहिए था’.

भाजपा की पहली राजनीतिक जनसभा में गया शहर के गांधी मैदान में हजारों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे.

जनसभा के दौरान मुख्य द्वार पर सैनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था तो की गई थी लेकिन किसी भी नेता और कार्यकर्ताओं ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया.

‘मास्क पूरी जनसभा के दौरान शोपीस ही नजर आए, मंच पर कुर्सियों के बीच दूरी जरूर थी, लेकिन लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियों के लिए इसका ख्याल नहीं रखा गया’.

यहां हम आपको बता दें कि सभा में दो गज की दूरी केवल मंच पर नजर आई, भीड़ में देखने को नहीं मिली. चुनाव चिन्ह वाला मास्क बांटा जरूर गया था, लेकिन उसे पहनने की दिलचस्पी लोगों में नहीं दिखी. लोगों को दूरी बनाने और मुंह-नाक ढंकने के लिए जागरूक करता कोई नेता या कार्यकर्ता नजर नहीं आया.


सार्वजनिक मंच से जेपी नड्डा डिजिटल की उपलब्धियों का बखान करते नजर आए

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गया में चुनावी रैली के दौरान सार्वजनिक मंच से मोदी सरकार के डिजिटल उपलब्धियों का बखान कर रहे थे. लेकिन वह यह भूल गए कि वह जहां खड़े हैं वह स्थान भी पब्लिक प्लेस है. ऐसे में उनको भी इस महामारी के नियमों को ध्यान रखना चाहिए था.

नड्डा ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से ही अब जमीन ड्रोन से मापी जाएगी. 6 लाख 32 हजार गांव में इसका लाभ मिलेगा.

डिजिटल नपाई से पूरी जमीन का विवरण एक डिजिटल कार्ड में दर्ज होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था कि आज बिहार में स्मार्ट सिटी से लेकर हाईवे बने हैं, बिहार में विकास के नए आयाम लिखे जा रहे हैं. जेपी नड्डा ने कहा कि देश को डिजिटल बनाने में केंद्र की मोदी सरकार की बड़ी भूमिका रही है.

इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया, तो वहीं कहा कि बीजेपी अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच आ रही है. इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष ने लालू प्रसाद यादव और राहुल गांधी पर भी निशाना साधा.

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस जाति और धर्म के आधार पर चुनाव लड़ती है. नड्डा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने डिजिटल माध्यम से ही कोरोना महामारी में 20 करोड़ लोगों तक जनधन खाते में 1500 रुपये पहुंचा दिए हैं. नड्डा डिजिटल का बखान तो कर रहे थे लेकिन वह कोरोना की दी गई गाइडलाइन का भी पालन करते तो बेहतर रहता.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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