एनडीए में सीट बंटवारे पर मचे घमासान के बीच भाजपा को याद आया ‘नड्डा का बिहार कनेक्शन’

भाजपा को पता है कब, कहां और किस प्रकार अपने ‘सियासी मोरे फिट करने हैं’. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस मामले में पारंगत हासिल है.

राजनीति के हर सियासी दांवपेच में निपुण मोदी और शाह भली-भांति जानते हैं कि ‘कौन सा हथियार किसके लिए प्रयोग करना है’. आज बात होगी बिहार विधानसभा चुनाव की. राज्य में कुछ समय से ‘एनडीए के सहयोगी दलों में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी मची हुई है’.

भाजपा, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के बीच बिहार चुनाव को लेकर तालमेल नहीं बैठ पा रहा है. पिछले दिनों एलजीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने खुलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दलित मुद्दे पर आलोचना की और सीटों के बंटवारे को लेकर अपनी शर्त रख दी.

‘चिराग पासवान के इस आक्रामक रवैये के बाद जेडीयू समेत भाजपा असमंजस पर दिखाई दे रही थी’.‌ दूसरी ओर जेडीयू और भाजपा में भी सीट बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है.

जेडीयू हर हाल में बीजेपी से अधिक सीटें चाहती है. पहले तो भाजपा केंद्रीय आलाकमान को उम्मीद थी कि जेडीयू और एलजीपी के बीच सीटों का बंटवारा आपस में निपट जाएगा लेकिन जब चार दिनों तक लगातार इस पर सहमति नहीं बनी तब भाजपा ने अपना ‘ब्रह्मास्त्र नड्डा बिहारी सियासी दांव’ चल दिया.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को आलाकमान ने बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपना ‘शांतिदूत’ बना कर भेजा है, हालांकि नड्डा पार्टी केेे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. आपको बताते हैं नड्डा और बिहार का कनेक्शन. इसके लिए हम आपको आठ महीने पीछे लिए चलते हैं.‌


पीएम मोदी की उम्मीदों पर कितना खरा उतरेंगे जेपी नड्डा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्मीदों पर खरा उतरने के साथ जेपी नड्डा के लिए पहली असली चुनौती तो बिहार का चुनाव है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने लाइन भी खींच दी है.

जनवरी 2020 में जब जेपी नड्डा को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था तब ‘पीएम मोदी ने दिल्ली भाजपा हेड क्वार्टर से दहाड़ कर कहा था कि हिमाचल वाले बड़े खुश हो रहे होंगे कि उनका बेटा अध्यक्ष बन गया है.

नड्डा पर जितना हक हिमाचल का है, उससे ज्यादा बिहार वालों का है’, क्योंकि नड्डा की जन्मभूमि और शिक्षा बिहार की राजधानी पटना रही है.

बिहार कलेक्शन से जोड़ते पीएम मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आठ महीने ही पहले जेपी नड्डा पर दांव लगा दिया था. आपको दें कि बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ था.

जेपी ने पटना के सेंट जेवियर स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की, फिर पटना से बीए किया. फिर नड्डा वकालत की पढ़ाई करने शिमला चले गए थे.

वहीं से वे एबीवीपी के जरिए राजनीति में पहुंच गए. इस प्रकार नड्डा का बिहार कनेक्शन है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के स्कूल और कॉलेज के दिनों के सैकड़ों मित्र बिहारी हैं.

पीएम मोदी का नड्डा को बिहारी बताने के पीछे बिहार का विधानसभा चुनाव था. मोदी जानते हैं कि बिहार का चुनाव जीतना कितना जरूरी है, जेडीयू से गठबंधन बचाए और बनाए रखने की भी चुनौती है, दोनों पार्टियों के बीच मनभेद जग जाहिर है.


भाजपा-जदयू के साथ 50-50 फार्मूले पर सीटों का बंटवारा चाहती है

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 2 दिनों के दौरे पर बिहार की राजधानी पटना में हैं. बता दें कि बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं.

भाजपा जेडीयू के साथ 50-50 फार्मूले पर सीटों का बंटवारा चाहती है. लेकिन जेडीयू के नेता भाजपा को आधी सीट देने के लिए तैयार नहीं हैं ? इसी को लेकर भाजपा और जेडीयू नेताओं के बीच रार मची हुई है.

दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. चिराग के तेवर अलग ही संकेत दे रहे हैं, वहीं भाजपा का दावा है कि एनडीए के सभी घटक दल साथ मिलकर बिहार के चुनावी रण में उतरेंगे. आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इसी फार्मूले पर चर्चा की.

नड्डा और नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद भाजपा दावा कर रही है कि नीतीश कुमार के साथ चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है ? लेकिन भाजपा को एलजीपी को भी साधने की चुनौती होगी.

एलजीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अभी समझौता होना बाकी है, जो नड्डा के लिए बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि चिराग अभी भी राज्य की 243 में से आधी सीटों पर लड़ने के लिए दावा ठोक रहे हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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