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कश्मीर में भाजपा का हुआ आगाज, लेकिन घाटी की सियासत में पैर जमाने में अभी लगेगा वक्त

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अमित शाह-पीएम मोदी

जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद के लिए हुए चुनावृ के परिणामों का भारतीय जनता पार्टी के साथ घाटी के कई राजनीति दलों को इंतजार था. ‘यह चुनाव छोटे जरूर थे लेकिन इसके मायने बड़े थे’. आइए हम आपको बताते हैं यह चुनाव परिणाम क्यों महत्वपूर्ण रहे. कड़ाके की ठंड के बीच मंगलवार से कश्मीर की सियासत गरमाई हुई है.

क्योंकि जिला विकास परिषद के परिणाम घोषित किए जा रहे थे. मोदी सरकार के घाटी से ‘अनुच्छेद 370’ हटाने के सवा साल बाद आयोजित हुए इन चुनाव पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई थी. ‘आठ चरणों में हुए इस चुनाव में लड़ाई सिर्फ सियासत की नहीं बल्कि लड़ाई जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े मुद्दे की थी’. बम, बारूद और गोली से दूर स्वतंत्र साफ सुथरा चुनाव कराने की भी थी.

ये चुनावी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी और जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की पार्टियों के बीच सीधी टक्कर की थी. चुनाव नतीजों के आने के साथ ही इन सवालों का स्पष्ट जवाब जम्मू-कश्मीर की जनता ने दे दिया है. बता दें कि जम्मू कश्मीर में 280 सीटों के लिए जिला विकास परिषद चुनाव में पहले चरण का मतदान 28 नवंबर को हुआ था और 8वें व अंतिम चरण का मतदान 19 दिसंबर को हुआ.

सबसे बड़ी बात यह रही कि कश्मीर में यह चुनाव बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किए गए. बता दें कि बीजेपी के खिलाफ 7 दलों ने ‘गुपकार गठबंधन’ बनाकर एक साथ चुनाव लड़ा. गुपकार गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स मूवमेंट के साथ सीपीआई और सीपीएम शामिल हैं.

मालूम हो कि गुपकार गठबंधन वह है जो अभी 2 महीने पहले फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने घाटी की कई छोटी पार्टियों के साथ मिलकर बनाया हुआ है. ‘कश्मीर घाटी में चुनाव परिणामों के बाद यह गुपकार गठबंधन सबसेे बड़ा दल बन कर उभरा है लेकिन भारतीय जनता पार्टी को भी मुस्कुराने की वजह मिल गई हैै’. दूसरी ओर जम्मू संभाग में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है. घाटी में अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इन चुनावों में काफी जान फूंकी थी.


शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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