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CDS Bipin Rawat: उत्तराखंड के थे देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत, मौत की खबर से राज्य में शोक की खबर

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सीडीएस जनरल बिपिन रावत

बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया. इस हेलिकॉप्टर में सीडीएस बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 14 लोग सवार थे. वहीं इस हादसे के बाद से उत्तराखंड में भी हड़कंप मच गया. लोग देवभूमि के बेटे के बारे में जानने के लिए बेचैन हो गए.

उनके परिजन भी चिंतित रहे. अब उनकी मौत की खबर आने से राज्य में शोक की लहर व्याप्त है. जनरल बिपिन रावत के हेलीकाॅप्टर क्रेश होने की खबर फैलने के बाद उत्तराखंड में गहमागहमी और चिंता का माहौल देखने को मिला. घटना को लेकर लगातार अपडेट लिए जा रहे थे.

भाजपा चुनाव प्रभारी बीएल संतोष ने भी दोपहर बाद की बैठक छोड़ दी थी. वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे थे. शाम होते-हाेते उनकी मौत की पुष्टि हुई और राज्य में सन्नाटा पसर गया. वहीं उनके पैतृक गांव में भी शोक व्याप्त हो गया.

वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यपाल सहित अन्य गणमान्य लोगों ने बिपिन रावत के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उनके निधन को देश के लिए बड़ी क्षति बताया. वहीं उनके परिवार को शक्ति देने की प्रार्थना की.

इस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और उनकी पत्नी सवार थे. रेस्क्यू किए गए लोगों को को वेलिंग्टन बेस में इलाज के लिए ले जाया गया है. चौथे शख्स की तलाश जारी है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, सीडीएस बिपिन रावत अपनी पत्नी के साथ वेलिंगटन में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे.

वहीं इस हादसे के बाद से उत्तराखंड में भी हड़कंप मच गया है. लोग देवभूमि के बेटे के बारे में जानने के लिए बेचैन हैं. उनके परिजन भी चिंतित हैं. जनरल बिपिन रावत के हेलीकाॅप्टर क्रेश होने की खबर से उत्तराखंड भाजपा में गहमागहमी और चिंता का माहौल है. घटना को लेकर लगातार अपडेट लिए जा रहे हैं. भाजपा चुनाव प्रभारी बीएल संतोष ने भी आज दोपहर बाद की बैठक छोड़ दी है. वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे.

द्वारीखाल ब्लाक के सैंण गांव के मूल निवासी हैं रावत
सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं. रावत पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के सैंण गांव के मूल निवासी हैं. उनकी पत्नी उत्तरकाशी जिले से हैं. जानकारी के मुताबिक देहरादून में जनरल बिपिन रावत का घर भी बन रहा है. जनरल बिपिन रावत थलसेना के प्रमुख रहे हैं. रिटायरमेंट से एक दिन पहले बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया. 

इनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए. रावत ने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने देहरादून में कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से शिक्षा ली है. आईएमए में उन्हें सर्वश्रेष्ठ स्वोर्ड ऑफ ऑनर सम्मान से भी नवाजा गया था. परिवार वालों का कहना है कि उनके परिवार में सभी बच्चों के सामने जनरल बिपिन और उनके पिता का उदाहरण पेश किया जाता है.

सीडीएस बिपिन रावत अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर युद्ध और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों की खासा जानकारी और अनुभव रखते हैं. उन्होंने पूर्वी सैक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इंफेंट्री बटालियन की कमान संभाली है. उन्होंने कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और एक इंफेंट्री डिविजन की कमान संभाली है. जनरल रावत ने सेना मुख्यालय की सेना सचिव शाखा में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है.

वे पूर्वी कमान मुख्यालय में मेजर जनरल, जनरल स्टाफ भी रहे हैं. उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में चैप्टर-7 मिशन में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली है. लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड एंड नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्सेज के पूर्व छात्र हैं.

उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया है, जिनमें यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, सीओएएस प्रशस्ति शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त हुए हैं.


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