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कोरोना पर जांच के लिए जा रही WHO की टीम को चीन ने अपने यहां आने से रोका, आखिर क्या छिपा रहा ‘ड्रैगन’!

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चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग

बीजिंग/जेनेवा|…. कोरोना वायरस आखिर कहां से आया? दुनियाभर में तबाही मचाने वाले इस घातक महामारी को लेकर अक्‍सर यह सवाल उठते रहे हैं. कई देश इसके लिए सीधे-सीधे चीन को जिम्‍मेदार ठहतराते रहे हैं तो चीन ने इससे हमेशा इनकार किया है.

इसे लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) पर भी सवाल उठते रहे हैं. डब्‍ल्‍यूएचओ से अमेरिका की नाराजगी इस कदर बढ़ी कि उसने इस वैश्विक संस्‍था से अपना नाता ही तोड़ लिया.

अमेरिका, ब्राजील जैसे देशों ने विश्‍व स्वास्थ्य संगठन पर आरोप लगाया कि यह वैश्विक संस्‍था अब चीन के नियंत्रण में जा चुकी है. अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर कहा कि संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने और उनमें सुधार करने में नाकाम रहा.

इन आरोपों के बीच डब्‍ल्‍यूएचओ को इस जांच की जिम्‍मेदारी सौंपी गई कि आखिर कोरोना वायरस संक्रमण की उत्‍पत्ति कहां से हुई, जिसके कारण दुनियाभर में करोड़ों लोगों ने अपनों को खोया और बीमार पड़े. लेकिन जांच के लिए जा रहे डब्‍ल्‍यूएचओ के वैज्ञानिकों को चीन ने अपने यहां आने से रोक दिया है.

इस बीमारी ने न सिर्फ बड़ा स्‍वास्‍थ्‍य संकट पैदा किया, बल्कि दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था पर भी इसका नकारात्‍मक असर हुआ. ऐसे में इसका पता लगाने के लिए एक सुर में आवाज उठना लाजिमी ही था कि आखिर इस घातक महामारी की शुरुआत कहां से हुई? यह बात जगजाहिर है कि कोविड-19 का पहला केस सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया और देखते ही देखते यह घातक महामारी चीन के अन्‍य शहरों और दुनिया के अन्‍य हिस्‍सों में भी फैलने लगी.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुले तौर पर यह दावा कर चुके हैं कि उनके पास कोरोना वायरस के चीन की एक प्रयोगशाला में उत्पन्न होने का सबूत हैं, जो वुहान में स्थित है. इसे चीन का सबसे बड़ा वायरोलॉजी लैब बताया जाता है. उनका यह दावा कोरोना वायरस को लेकर उन कॉन्‍सपिरेसी थ्‍योरीज के करीब लगा, जिनमें कहा गया कि यह वायरस कृत्रिम है और संभव है कि प्रयोगशाला में किसी जांच के दौरान गड़बड़ी के परिणामस्‍वरूप सामने आया हो.

हालांकि चीन ऐसे दावों को लगातार नकारता रहा है और यूरोप में हुए कुछ अपुष्ट अध्ययनों का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश करता रहा है कि सार्स-Cov-2 उसके यहां से नहीं शुरू हुआ और यह काफी पहले से अस्तित्व में रहा होगा. इन आरोप-प्रत्‍यारोपों के बीच मई 2020 में डब्ल्यूएचओ की वार्षिक सभा में भाग लेने वाले 100 से अधिक देशों ने कोविड-19 पर ‘निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक मूल्यांकन’ का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव स्‍वीकार किया था.

इसी के तहत डब्‍ल्‍यूएचओ कोविड-19 की उत्‍तपत्ति और इससे संबंधित अन्‍य पहलुओं की जांच के लिए तैयार हुआ था. इसके लिए चीन ने भी सहमति जताई थी, लेकिन अब जब डब्‍ल्‍यूएचओ की टीम जांच के लिए चीन पहुंचने वाली थी, चीन ने अपने यहां उन अधिकारियों का प्रवेश वर्जित कर दिया है. खुद डब्‍ल्‍यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने इसकी जानकारी दी है और कहा कि चीन के इस कदम ने उन्‍हें बेहद निराश किया है.

उन्‍होंने बताया कि डब्‍ल्‍यूएचओ के वैज्ञानिकों की एक टीम को इस जांच के सिलसिले में चीन जाना था, जिसके लिए चीनी प्रशासन से बात हो गई थी. उन्‍होंने मंगलवार को जेनेवा में कहा कि डब्‍ल्‍यूएचओ इस मिशन को जल्‍द से जल्‍द पूरा करना चाहता है, लेकिन इसमें अड़चन आ गई है. उन्‍होंने बताया कि दो वैज्ञानिक पहले ही चीन जाने के लिए अपने देश से रवाना हो चुके हैं, लेकिन चीनी अधिकारियों ने उन्‍हें देश में प्रवेश को लेकर अनुमति नहीं दी.

चीन के इस रवैये के बाद उसकी नीयत को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि क्‍या वास्‍तव में कोविड-19 को लेकर ऐसा कुछ है, जिसे वह छिपा रहा है? कोविड-19 की उत्‍तत्ति की जांच के सिलसिले में जाने वालों को परेशान करने, उनका पीछा करने, उनका रास्‍ता रोकने और हाल के दिनों में चीन में कई छोटी प्रयोगशालाओं को बंद किए जाने की रिपोर्ट भी बीते कुछ समय में सामने आई है, जिसे देखते हुए चीन को लेकर लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं.

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