Home ताजा हलचल ताइवान के साथ ट्रेड डील की चर्चा से तिलमिलाया चीन

ताइवान के साथ ट्रेड डील की चर्चा से तिलमिलाया चीन

0
चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग

नई दिल्ली| ताइवान के साथ भारत की ट्रेड डील की रिपोर्टों से चीन तिलमिला गया है. बीजिंग ने आगाह करते हुए कहा है कि भारत को चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए. जाहिर है कि ताइवान के साथ कारोबार शुरू करने संबंधी रिपोर्ट बीजिंग को नागवार गुजरी हैं.

चीन की झुंझलाहट कितनी है इसे उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के बयान से समझा जा सकता है. प्रवक्ता ने अपनी एक नियमित ब्रीफिंग में कहा, ‘दुनिया में केवल ‘वन चाइना’ है और ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है. भारत सहित दुनिया के देशों में ‘वन-चाइना पॉलिसी’ पर एक आम सहमति है.

मीडिया रिपोर्ट पर भड़का चीन
प्रवक्ता ने ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दिया जिसमें कहा गया है कि भारत आने वाले दिनों में ताइवान के साथ व्यापार वार्ता शुरू कर सकता है. झाओ ने आगे कहा, ‘चीन अन्य देशों के साथ अपने ‘वन चाइना पॉलिसी’ के आधार पर ही राजनीतिक संबंध विकसित करता है.

ऐसे में हम चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों को ताइवान के साथ किसी तरह के आधिकारिक आदान-प्रदान अथवा दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की कवायद का दृढ़ता से विरोध करते हैं. भारतीय पक्ष को ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर प्रतिबद्ध रहना चाहिए.’

चीन के एकीकरण के प्रस्ताव को ताइवान ने ठुकराया
बता दें कि ताइवान को अपने क्षेत्र में शामिल करने के लिए चीन ने एकीकरण का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन उसके इस प्रस्ताव को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने ठुकरा दिया.

इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है. अपनी पेशकश ठुकराए जाने के बाद ताइवान के साथ संबंध विकसित करने वाले देशों पर चीन ने आक्रामक रुख अपनाया है.

भारतीय मीडिया में गत 10 अक्टूबर को ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह को जगह मिली थी. इस पर भी चीन की त्योरियां चढ़ गईं.

अपना विरोध जताने के लिए नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी किया. इस बयान में कहा गया कि बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले सभी देशों को ‘वन चाइन पॉलिसी’ का सम्मान करना चाहिए.

‘वन चाइना पॉलिसी’ का सम्मान करता रहा है भारत
ताइवान लंबे समय से कारोबार शुरू करने के लिए भारत से आग्रह करता आया है लेकिन भारत इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कोई औपचारिक वादा उससे नहीं किया. जाहिर है कि भारत की इस अनिच्छा में कहीं न कहीं ‘वन चाइना पॉलिसी’ रही है.

भारत को ताइवान के साथ आधिकारिक रूप से व्यापार शुरू कर चीन के साथ विवाद में नहीं पड़ना चाहता लेकिन सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए और बीजिंग पर दबाव बनाने के लिए नई दिल्ली यदि अपने मौजूदा नीति में बदलाव करती है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए.

चीन के साथ रिश्तों में आई तल्खी को देखते हुए कई लोगों का मानना है कि भारत और ताइवान को अपने संबंध मजबूत करने चाहिए क्योंकि दोनों लोकतांत्रिक देश हैं.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version