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‘अफगानी जनता तालिबान के शिकंजे में’, चीन ने कहा -‘मैत्रीपूर्ण संबंध’ विकसित करने के लिए तैयार

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बीजिंग|…. ‘अफगानी जनता तालिबान के शिकंजे में कैद हो गई’. आखिरकार पूरा देश तालिबान की गिरफ्त में आ गया. रविवार को कट्टरपंथी लड़ाकों ने राजधानी काबुल पर भी कब्जा कर लिया. तालिबान ने अफगान सरकार के आखिरी किले काबुल पर भी जीत हासिल कर अपना झंडा लगा दिया है.

इससे काफी अफरा-तफरी मच गई है. इसी बीच चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के साथ ‘मैत्रीपूर्ण संबंध’ विकसित करने के लिए तैयार है.

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘चीन स्वतंत्र रूप से अपने भाग्य का निर्धारण करने के अफगान लोगों के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध विकसित करना जारी रखना चाहता है.’

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी तालिबान का स्वागत किया है. इमरान का कहना है कि उन्होंने [तालिबान] अफगानिस्तान में मानसिक गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया है.

अफगानिस्‍तान में तालिबान के खूनी खेल की कड़ी निंदा हो रही है लेकिन चीनी ड्रैगन और उसका आयरन ब्रदर पाकिस्‍तान तालिबानी शासन को मान्‍यता दे रहे हैं. चीन के इस दांव से अमेरिका के बाइडन प्रशासन को तगड़ा झटका लग सकता है जो तालिबानी हिंसा के जवाब में उसके खिलाफ बेहद कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है.

तालिबान के कब्‍जे में अब अफगानिस्‍तान से लगती चीन की सीमा भी है. चीनी दांव से अब अमेरिका की तालिबान पर कतर में दबाव डालने की रणनीति भी फेल साबित हो रही है.

चीन ने पहले ही तालिबान के साथ समझौता कर रखा है कि वे उइगर विद्रोहियों को अपनी सीमा में जगह नहीं देंगे. अफगानिस्‍तान में अगर स्थिरता आती है तो चीन वहां के एक ट्रिल्‍यन डॉलर से ज्‍यादा के प्राकृतिक संसाधनों का इस्‍तेमाल अपने फायदे के लिए करेगा.

अमेरिका की हालिया खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की अफगानिस्‍तान के आर्थिक संसाधनों में दिलचस्पी काफी बढ़ गई है. इसी वजह से वो अफगान सीमा तक अपनी रोड के निर्माण को तेज करना चाहता है. चीन की नजर अफगान खदानों पर है जहां पर सोना, तांबा और कई कीमती मेटल्स छुपे हुए हैं.


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