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शिवलिंग मामले में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले प्रोफेसर को मिली जमानत

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वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल को तीस हजारी कोर्ट से जमानत मिल गई है. उन्हें 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी गई है.

दिल्ली पुलिस ने उन्हें शुक्रवार रात गिरफ्तार किया था. आज सुबह राजधानी दिल्ली में वाम दलों से संबद्ध छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय के बाहर प्रदर्शन किया.

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रतन लाल हिंदू कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर हैं. पुलिस को कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने की शिकायत मिली थी, जिसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं का अपमान करना और ठेस पहुंचाना था.

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया है. वहीं मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहे हैं. ज्ञानवापी को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाओं के साथ बहस भी छिड़ी हुई है . शुक्रवार को इस मामले में देश की शीर्ष अदालत ने फिलहाल सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह तक टाल दी है.

कल सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को फिलहाल आपसी भाईचारे और सौहार्द्र पूर्ण के साथ रहने का आदेश जारी किया है. लेकिन सोशल मीडिया पर यह मामला अभी भी गरमाया हुआ है. फेसबुक पर इसे लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल ने एक पोस्ट किया था.

इस पोस्ट को लेकर धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में केस दर्ज कर पुलिस ने प्रोफेसर रतन लाल को शुक्रवार की रात गिरफ्तार कर लिया . प्रोफेसर रतन लाल की गिरफ्तारी को लेकर अब हंगामा खड़ा हो गया है. वामपंथी छात्र संगठन प्रोफेसर रतन लाल के पक्ष में खुलकर उतर आए हैं.

प्रोफेसर रतन लाल की गिरफ्तारी के विरोध में वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के बैनर तले छात्रों ने प्रदर्शन किया . छात्रों ने ज्ञानवापी विवाद में रतन लाल को तुरंत रिहा किए जाने की मांग की. इस मामले में ऑल-इंडिया-मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी लगातार खुलकर अपनी राय रख रहे हैं.

ओवैसी अपने बयानों में मुस्लिम पक्ष की तरह लगातार दावा कर रहे हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में जो आकृति मिली है, वह शिवलिंग नहीं फव्वारा है.‌‌ इस बीच ओवौसी ने न्यूयॉर्क टाइम्स का एक पुराना आर्टिकल शेयर किया है, जिसमें 2700 साल पुराने फव्वारे की कहानी बताई गई है.

दरअसल, सोशल मीडिया पर इस बात की बहस छिड़ी हुई है कि जब इस मस्जिद का निर्माण हुआ था, तो उस काल में फव्वारा कैसे चलता था, उसकी तकनीक क्या थी.

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