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बड़ी क्षति: देश अपने योद्धाओं की सकुशल होने की प्रार्थना करता रहा लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था

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दिवंगत जनरल बिपिन रावत

बुधवार दोपहर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे के बाद पूरा देश वीर सपूत सैन्य अफसरों की सकुशल होने की प्रार्थना कर रहा था. लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. आखिरकार 8 दिसंबर की तारीख पूरे देश को रुला गई. दोपहर तक सब कुछ ठीक चल रहा था. उसके बाद जैसे ही खबर आती है कि तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया है.

देश में प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो जाता है. इस हेलीकॉप्टर में देश के पहले चीफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत पत्नी मधुलिका और बहादुर सैन्य अफसरों के साथ सवार थे. आखिरकार शाम को वह खबर आ गई जिसको सुनने के लिए देश तैयार नहीं था. लेकिन जो हकीकत सामने आई उसके बाद देश की आंखें नम हो गईं.

तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ. पहाड़ी और जंगली इलाके में हुए इस हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और पत्नी मधुलिका समेत 13 लोगों का निधन हो गया. जनरल रावत 63 साल के थे. हेलिकॉप्टर में जनरल रावत, उनकी पत्नी के अलावा 12 लोग और थे. ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार, लांंस नायक बी साई तेजा और हवलदार सतपाल सवार थे.

हेलिकॉप्टर क्रैश में अकेले बचने वाले शख्स हैं ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह. उनकी बॉडी इस हादसे में बुरी तरह झुलस गई है. वे वे वहीं दुर्घटना स्थल के पास वेलिंगटन के मिलिट्री अस्पताल में भर्ती हैं. यह दुखद समाचार सुनकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत करोड़ों देशवासियों ने जनरल बिपिन रावत समेत सभी बहादुर अफसरों को को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.रावत के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जाहिर किया है.

पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, जनरल रावत बेमिसाल सैनिक थे. सच्चे देशभक्त थे और उन्होंने हमारी सेनाओं के मॉर्डनाइजेशन के लिए योगदान दिया. उनके जाने से मुझे गहरा दुख हुआ है. देश उनकी असाधारण सेवा को कभी नहीं भूलेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा कि विपिन रावत का असमय निधन देश और सेना के लिए कभी पूरी न हो पाने वाली क्षति है. सोशल मीडिया पर देशवासियों ने अपने बहादुर सैन्य अफसरों की मृत्यु पर गहरा दुख प्रकट किया है.

लाखों-करोड़ों यूजर ने अपने सोशल मीडिया, फेसबुक, टि्वटर और व्हाट्सएप की डीपी पर इस घटना का गहरा दुख प्रकट करते हुए दिवंगत बिपिन रावत समेत अन्य अफसरों की फोटो लगाकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. वहीं जनरल बिपिन रावत के गृह राज्य उत्तराखंड में शोक का माहौल है. देवभूमि के लोग अपने वीर सपूत के खोने के बाद स्तब्ध हैं.

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 16 मार्च 1958 को जन्मे थे बिपिन रावत
बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत, जिन्हें हम जनरल बिपिन रावत के नाम से जानते हैं. वो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ थे. जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ. जनरल रावत की माताजी परमार वंश से थीं. इनके पूर्वज हरिद्वार जिले के मायापुर से आकर गढ़वाल के परसई गांव में बसे थे, जिस कारण परसारा रावत कहलाए. दरअसल, रावत एक मिलिट्री टाइटल है जो राजपूतों को गढ़वाल के शासकों ने दिया था.

इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए. रावत ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली. यहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया. वे फोर्ट लीवनवर्थ, अमेरिका में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे. उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, मैनेजमेंट में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया.

पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को 2019 में देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था. वे 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहने वाले थे. इस पद को बनाने का मकसद यह है कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सही तरीके से और इफेक्टिव कोऑर्डिनेशन किया जा सके.

बता दें कि रावत ने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में करियर की शुरुआत की थी. वह 31 दिसंबर 2016 को थलसेना प्रमुख बने. उन्हें पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का अनुभव रहा.

खास बात यह है कि रावत उसी यूनिट (11 गोरखा राइफल्स) में पोस्ट हुए थे, जिसमें उनके पिता भी रह चुके थे. बता दें कि परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. देश ने आज बहादुर सपूत खो दिया है.

शंभू नाथ गौतम

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