दिल्ली के चर्चित 2000 करोड़ रुपये के ‘क्लासरूम घोटाले’ मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि निर्माण कार्यों के भुगतान के नाम पर 300 से अधिक फर्जी बैंक खाते खोले गए थे, जो मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के नाम पर दर्ज थे। इन खातों के ज़रिए करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ, लेकिन असली लाभार्थी कौन हैं, इसका अब तक पता नहीं चल सका है।
ED के अनुसार, यह घोटाला दिल्ली सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में क्लासरूम निर्माण के लिए आवंटित बजट में हुआ है। आरोप है कि निर्माण कार्यों में भारी अनियमितता बरती गई और कागज़ों पर खर्च को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। जिन मजदूरों के नाम पर खाते खोले गए थे, उनमें से अधिकांश को इन लेन-देन की कोई जानकारी तक नहीं थी।
एजेंसी ने अब तक कई दस्तावेज जब्त किए हैं और संबंधित फर्मों व अधिकारियों से पूछताछ जारी है। माना जा रहा है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से भी जुड़ा हो सकता है। इस घोटाले ने दिल्ली की राजनीति में भूचाल ला दिया है और विपक्षी दलों ने इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।