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कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के साथ राज्यपालों को नैतिकता के साथ अच्छे रिश्ते बनाने होंगे

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आज बात करेंगे देश में कांग्रेस शासित राज्य सरकारों की. दूसरे दलों की राज्य सरकारों के लिए केंद्र सरकार का राज्यपालों के ऊपर इतना दबाव बढ़ जाता है कि राजनीति की मर्यादा और नैतिकता भी पीछे छूट जाती हैं.

पिछले दिनों महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे के बीच ‘हिंदुत्व’ को लेकर हुए टकराव की तपिश अभी बुझी भी नहीं थी कि दो राज्यों में राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के आपसी मतभेद की नौबत आ गई.

कांग्रेस की राज्य सरकारें राज्यपाल के आचरण को लेकर सवाल उठा रही हैं. ये राज्य हैं पंजाब और छत्तीसगढ़. दोनों में कांग्रेस की चुनी सरकारें हैं.टकराव की सबसे बड़ी वजह केंद्र सरकार के द्वारा बनाया गया कृषि कानून है.

‘कृषि कानून को लेकर पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के राज्यपालों से सियासी रिश्तो में दरार आ गई है’. पहले बात करेंगे पंजाब की. सोमवार को जब पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार को सीधे चुनौती देते हुए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर कृषि संबंधी 4 विधेयकों को पारित करा लिया.

सीएम अमरिंदर सिंह का यह आक्रामक अंदाज पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को नागवार गुजरा. अब राज्यपाल को कैप्टन अमरिंदर सिंह के विधानसभा में कृषि संबंधी बिलों को मंजूरी देने के लिए केंद्र के निर्देशों का इंतजार हो रहा है.

बदनौर के इस आचरण के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी राज्यपाल और मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं.

बता दें कि सीएम अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात की. इस दौरान सीएम ने राज्यपाल को कृषि कानूनों के खिलाफ पारित विधेयकों एवं विधानसभा में अपनाए गए प्रस्ताव की प्रति सौंपी.

‘सीएम अमरिंदर ने कहा कि अगर राज्यपाल और केंद्र सरकार इस विधेयक को मंजूरी नहीं देते हैं उनकी सरकार कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेगी, सीएम ने कहा कि मैं अपनी सरकार को बर्खास्‍त किए जाने से नहीं डरता. इस्‍तीफा जेब में है, इसलिए मेरी सरकार को बर्खास्‍त करने की जरूरत नहीं पड़ेगी’.

अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यपाल को किसानों को दुखों की भट्ठी में झोंकने या बर्बाद होने की हरगिज इजाजत नहीं दूंगा. सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्यपाल कृषि विधेयक को मंजूरी नहीं देते हैं तो वह दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे.

हम आपको बता दें कि सीएम अमरिंदर सिंह की राज्यपाल से मुलाकात के दौरान भाजपा के दो विधायक उनके साथ नहीं थे.

गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा के दो विधायक हैं और उन दोनों ने विधानसभा के विशेष सत्र में भी हिस्सा नहीं लिया था जो कृषि कानूनों के खिलाफ बुलाया गया था ‌. पंजाब ही ऐसा राज्य है जो केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर है.

इस राज्य के किसान अभी भी मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर हैं. बता दें कि पंजाब में बिना किसानों को साथ लेकर सत्ता पर काबिज नहीं हुआ जा सकता है.

सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों को साथ लेकर चलना चाहते हैं, इसीलिए वह राज्यपाल और केंद्र सरकार से सीधा टकराव भी चाहते हैं. अब बात छत्तीसगढ़ की होगी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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