उत्तराखंड के कोटद्वार क्षेत्र के पास स्थित वन क्षेत्र से जुटाए गए जंगली मशरूम से बनी सब्जी खाने के बाद सात नेपाली श्रमिकों की हालत गंभीर हो गई। यह घटना मानसून के दौरान हुई जब जंगल में मशरूम की विविध किस्में तेजी से बढ़ती हैं, लेकिन उनकी पहचान करने में अक्सर भ्रम हो जाता है। श्रमिकों को उल्टी, भारी पेट दर्द और चक्कर जैसी शिकायतों के बाद स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि अब तक चार श्रमिकों की हालत स्थिर है, जबकि तीन की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आपातकालीन उपचार में उन्हें IV फ्लूइड, एंटीवॉमिटिक और अन्य जरूरी उपचार दिए जा रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ जंगली मशरूम में मौजूद विष गर्म करने पर भी नष्ट नहीं होते, इसलिए पहचान और सावधानी बेहद ज़रूरी है। कोटद्वार अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि “क्या पहचान रहे थे, खाने से पहले मशरूम की पुष्टि कितनी हुई — ये सभी सवाल अभी स्पष्ट करने बाकी हैं”।
इस घटना के बाद वन विभाग और स्वास्थ्य प्रशासन ने शिक्षाप्रद चेतावनी जारी की है। उन्होंने ग्रामीण और श्रमिक वर्ग को सचेत करते हुए कहा है कि वनों से जुड़ी खाद्य वस्तुओं का प्रयोग तभी करें जब वे आसानी से पहचान में आ सकें। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में मशरूम विषाक्तता के इलाज और जानकारी के लिए मोबाइल स्वास्थ्य शिविरों और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन ने भी जंगल न जाने और जंगली खाद्य पदार्थ लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेने की अपील की है। इस हादसे ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राकृतिक खाद्य स्रोतों के साथ संबंध और सावधानी सबसे अहम है—वरना एक छोटी भूल जानलेवा साबित हो सकती है।