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चिंतन शिविर: उत्तराखंड में नए सिरे से खड़ी होगी कांग्रेस, कैसे होगा 2024 लोकसभा चुनाव में बेड़ा पार!

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देहरादून| उत्तराखंड में लगातार दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनावों में मुंह की खा चुकी कांग्रेस का 2024 में क्या होगा? और अब जबकि राज्य सभा की सीट भी हाथ से निकलने वाली है, ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के मंथन और चिंतन की अगली चुनौती 2024 का लोकसभा चुनाव ही है.

इसी सिलसिले में उत्तराखंड में संगठन के ढीले जोड़ों को कसने के लिए देहरादून में बुधवार 1 जून से कांग्रेस का 2 दिवसीय चिंतन शिविर ‘नव संकल्प ​क्रियान्वयन कार्यशाला’ के नाम से शुरू हुआ, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम दिग्गज मौजूद रहे.

देश और देवभूमि में पार्टी की परफॉर्मेंस कैसे सुधरे? चिंतन शिविर में बात इस पर हो रही है, पर उससे बड़ा सवाल उत्तराखंड में सत्ता से बाहर हो रही कांग्रेस के लिए यह है कि आगे क्या होगा? जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के साथ लोकसभा चुनाव फिर आ रहा है.

हकीकत है कि 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव, पहाड़ से कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार सांसद का चुनाव नहीं जीत सका.

शिविर में कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि वोट प्रतिशत बढ़ने का सीधा अर्थ कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ना है. लेकिन 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को पहले 11 और अब 19 विधायकों से संतोष करना पड़ा. अब राज्यसभा की तीनों सीटें बीजेपी के पास जा रही हैं. कांग्रेस से राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए उत्तराखंड से किसी नाम का ऐलान नहीं किया है.

राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के ‘नव चिंतन शिविर’ की तर्ज़ पर दून में भी कांग्रेस ने चिंतन शुरू किया. पहले दिन बुधवार को इस शिविर में हरीश रावत के साथ ही राज्य में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव समेत कई नेता मौजूद रहे. मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने इस शिविर में चिंतन से जुड़े ये कुछ खास बिंदु बताए.

— पार्टी ने समाज को बांटने वाली सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ शिद्दत से डटे रहने का स्वर बुलंद किया.

— पार्टी के वरिष्ठ नेता संगठन को दोबारा मज़बूत करने के संकल्प लेते दिखे.

— न्याय पंचायत स्तर से पार्टी को नये सिरे से संगठित किया जाएगा.

— समर्पित कार्यकर्ताओं को पार्टी के भीतर प्रमोशन दिए जाने की बात कही गई.

— 11 से 14 जून के बीच ज़िला स्तर पर कार्यकर्ताओं के लिए वर्कशॉप तय की गई.

कांग्रेस की जीत के लिए हरीश रावत का फॉर्मूला
उत्तराखंड में 2014 के लोकसभा चुनाव से कांग्रेस की कहानी बिगड़नी शुरू हुई थी और 2016 में हुई बगावत के बाद तो कांग्रेस अब तक नहीं संभल पाई. ऐसे में, चिंतन शिविर के ज़रिये क्या कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बीजेपी से पार पा लेगी? हालांकि पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि 2004 से पहले बीजेपी जीत रही थी, फिर 10 साल तक हम केंद्र में सत्ता में रहे. 2014 में फिर बीजेपी इसलिए अब 2024 में पासा पलटेगा.

साभार-न्यूज 18





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