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जानिए सोमनाथ मंदिर का इतिहास और महत्व-कैसे पहुँचे सोमनाथ मंदिर

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सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल शहर में समुंद्र किनारे स्थित है. यह सबसे प्राचीन हिंदू मंदिर है. इस जगह को पहले प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था. सोमनाथ मंदिर की गणना बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहले ज्योतिलिंग के रूप में होती है.

सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है. ज्योतिर्लिंग उन स्थानों को कहते है जहाँ भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे. सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थान और पर्यटन स्थल है.

हिंदू धर्म में इस स्थान को बहुत पवित्र माना जाता है. इस मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्र देव ने करवाया था. इस मंदिर का इतिहास हिंदू धर्म के उत्थान और पतन का प्रतीक माना गया है. अब तक यह मंदिर कई बार नष्ट हो चुका है और दूबारा उतनी ही विशालता से इसका पुननिर्माण किया गया.

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुँचे
सोमनाथ मंदिर आप सडक, रेल और हवाई मार्गों द्वारा आराम से पहुँच सकते है. सोमनाथ आने के लिए यात्रियों को साधन के लिए कोई परेशानी नहीं होती है.
बता दें कि सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है. केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है. इसके साथ सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है.

यहां से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है. वहीं सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं.

पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है. इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है. साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं. वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है. सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं.

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