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हाथरस केस: सीबीआई ने अपने हाथ में ली रेप और हत्या की जांच, तलाशने होंगे इन उलझे सवालों के जवाब

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सांकेतिक फोटो

यूपी की योगी सरकार ने हाथरस गैंगरेप की जांच सीबीआई के हाथ सौंपने की सिफारिश कर दी है. मामले में दिन जिस तरह से नई-नई चीजें घटित हो रही हैं, उसे देखकर लगता है कि सीबीआई के लिए इस केस को सुलझा पाना आसान नहीं होगा.

सीबीआई को इस मामले में काफी उलझे सवालों के जवाब तलाशने होंगे. उनके सामने खास चुनौती गैंगरेप की थ्योरी को सुलझाने की होगी और परिजन के दावे, आरोपियों के तर्क और मेडिकल रिपोर्ट से पैदा हुए उलझाव की तस्वीर भी साफ करनी होगी.

सीबाआई के गाजियाबाद विंग में इस केस को हैंडओवर करने के बाद एफआईआर दर्ज कर ली गई है. डिप्टी एसपी सीमा पाहूजा की अगुवाई में मामले की जांच होगी. जानकारों के मुताबिक अब सबसे पहले इस केस से जुड़े दस्तावेज सीबीआई पुलिस से हासिल करेगी.

उसके बाद पीड़ित परिवार की बात सबसे पहले सुनेगी. उसके बाद केस से जुड़े हर व्यक्ति से बात करेगी. पीड़ित के परिजन को धमकाने का आरोप झेल रहे हाथरस के डीएम और दूसरे नौकरशाह भी जांच के दायरे में आएंगे.

सीबीआई की जांच का दायरा बड़ा होगा. जिसके तहत सीबीआई पता करेगी कि घटना कब और कैसे हुई? घटनास्थल पर मौजूदगी का विवाद सुलझाना होगा. मौका-ए-वारदात पर कितने लोग थे, मौके पर मौजूद होने का दावा करने वाले मुख्य आरोपी संदीप के बयान और पीड़िता के मां भाई के बयान के साथ घटनास्थल के वायरल वीडियो और मौके से मिले दराती, चप्पल और घास की गठरी का राजफाश करना होगा.

ये सवाल सुलझाना होगा अहम
संदीप के अलावा बाकी तीनों आरोपी रवि, लवकुश और रामकुमार के मौका-ए-वारदात पर मौजूदगी को लेकर किए जा रहे सवालों की सच्चाई का पता करना होगा. जानकारों के मुताबिक थाना हाथरस, हाथरस अस्पताल के साथ अलीगढ़ और दिल्ली अस्पताल के रेकॉर्ड सीबीआई के लिए अहम होंगे.

थाने में शिकायत के वक्त कौन-कौन पुलिस वाले मौजूद रहे थे? पीड़िता के साथ थाने परिवार के कौन लोग गए थे? अस्पातल कौन ले गए थे? एफआईआर लिखाने के लिए तहरीर किसने लिखी और किसने लिखवाई? क्या लिखा गया? सब सीबीआई जानने की कोशिश करेगी.

इसके अलावा तहरीर में पहले दिन ही गैंगरेप छिपाने के लिए फेरबदल तो नहीं किया गया, इसकी पड़ताल भी केंद्रीय एजेंसी करेगी. मुख्य आरोपी संदीप के बाद अलग-अलग तिथि में पुलिस ने अलग-अलग धारा बढ़ाने का आधार क्या रखा? पीड़िता के अस्पातल में बयान की वीडियो किसने बनाई और किसके कहने पर बनाई? दिल्ली अस्पताल में परिजन को बिटिया का शव क्यों नहीं दिया गया? ऐसी कौन-सी परिस्थिति रही कि शव का परिजन की बिना सहमति के रातोरात अंतिम संस्कार कर दिया गया? इन सवालों का भी सीबीआई जवाब तलाशने की कोशिश करेगी.

केंद्रीय जांच एजेंसी इस तथ्य को भी खंगाल सकती है कि क्या वाकई ज्वलनशील पदार्थ चिता पर छिड़का गया था? अंतिम संस्कार के वक्त कौन-कौन लोग मौजूद थे? सीबीआई उनसे बात भी करेगी. इसके अलावा डीएम और दूसरे अफसरों को पीड़ितों के धमकाने और नौकरशाहों की पूरी भूमिका की जांच सीबीआई के लिए बेहद अहम होगी. पीड़ित परिवार को उकसाने और भड़काने के लिए क्या साजिश हुई? क्या विदेशी फंडिंग हुई और उसमें कौन-कौन लोग शामिल रहे? यह भी जांच का बिंदु रहेगा. सीबीआई मुख्य आरोपी संदीप और पीड़िता के भाई के मोबाइल नंबर से 104 बार हुई बात का तार भी जोड़ेगी.

जानकारों की माने तो असल बात गैंगरेप को लेकर सीबीआई के सामने चुनौती होगी क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट, सीएफएल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गैंरगेरप की पुष्टि नहीं हैं. हालांकि परिजन अभी भी गैंगरेप होने की बात बार-बार दोहरा रहे हैं. परिजन अपने बात पर अडिग हैं और अलीगढ़ मेडिकल की शुरुआती रिपोर्ट में भी रेप के संकेत मिले हैं इसलिए गैंगरेप को लेकर थ्योरी को साफ करना सीबीआई के लिए खास होगा.

पीड़ित परिवार पर लगे कुछ आरोप की जांच शायद ही हो
पीड़ित परिवार पर लगने वाले कुछ आरोपों की जांच शायद ही सीबीआई करें क्योंकि अभी तक परिजन पर लगे आरोपों का कोई सबूत सामने नहीं आया है. अभी तक एसआईटी या पुलिस ने उन आरोपों की जांच नहीं की. बताते हैं कि जांच से जुड़े लोग अब तक मान रहे हैं कि कुछ लोग परिवार को घेरने और केस का रुख मोड़ने के लिए भी आरोप लगा सकते हैं. परिजन पर आरोप है कि बाहरी लोगों के बहकावे में आए और नकली भाभी की मदद ली.

अभी सीबीआई के फैसले वैसे ही आ रहे हैं जैसा सरकार चाहती है. ऐसा भी फैसला आ सकता है की पीड़िता आतमहत्या करने की कोशिश कर रही थी और चारों आरोपी उसे रोक रहे थे.

आरोपी से पीड़िता का भाई बात करता था. विरोधी दलों के कहने पर विवाद को हवा दी. वैसे जिस तरह पीड़िता की हत्या की बात उसकी मां और भाई पर कुछ गांव के लोग और आरोपी पक्ष के लोग लगा रहे हैं उस बारे में सीबीआई संभव है जांच को आगे बढ़ाए.

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