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उत्तराखंड: दो नवंबर से खुलेंगे स्कूल, 10वीं व 12वीं के छात्रों को नहीं मिलेगा होमवर्क

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सांकेतिक फोटो

उत्तराखंड में दो नवंबर से सरकारी और निजी माध्यमिक स्कूलों में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं शुरू हो जाएंगी. इन छात्रों को शिक्षक पढ़ाएंगे तो सही, पर होमवर्क नहीं दिया जाएगा.

स्कूल खुलने पर करीब तीन हफ्ते लॉकडाउन के दौरान घर पर रहकर ऑनलाइन और दूसरे माध्यम से हुई पढ़ाई का रिवीजन ही कराया जाएगा.

स्कूल संचालन के लिए तय किए गए मानकों में सरकार ने नियमित होमवर्क देने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं.

स्कूल शुरू करने की अनुमति देते हुए सरकार ने कोरोना रोकथाम के लिए तो कड़े मानक बनाए ही हैं, साथ ही पढ़ाई का फॉर्मेट भी तय किया गया है. स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, छात्र और अभिभावकों के लिए भी मानक बनाए गए हैं.

सचिव (शिक्षा) आर. मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, कक्षाएं फिर शुरू होने पर छात्रों को धीरे-धीरे मुख्य धारा में लाया जाएगा. दो-तीन हफ्ते के दौरान या तो ऑनलाइन कराई गई पढ़ाई की समीक्षा होगी या फिर किसी और शैक्षिक गतिविधि से छात्रों को स्कूल जीवन में फिर अभ्यस्त किया जाएगा.

माता-पिता और छात्रों से हफ्ते में दो से तीन बार बातचीत: छात्रों की ऑफलाइन और ऑनलाइन पढ़ाई की प्रगति की जांच को शिक्षक, छात्रों और अभिभावकों के साथ लगातार संवाद में रहेंगे.

अभिभावकों के साथ फोन और ऑनलाइन माध्यमों से हफ्ते में दो से तीन बार बात करनी होगी. छात्रों की पढ़ाई/प्रदर्शन पर चर्चा की जाएगी.

ऑनलाइन पढ़ाई को देना होगा बढ़ावा: सोशल डिस्टेंसिंग के लिहाज से शिक्षकों को ऑनलाइन पढ़ाई पर ज्यादा जोर देने के निर्देश दिए गए हैं. जहां तक संभव हो, छात्रों को ऑनलाइन मोड में पढ़ाई के लिए प्रेरित करना होगा. इस बीच छात्रों को स्कूल में एक-दूसरे की वस्तुएं साझा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

राज्य में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए शिक्षक, छात्रों को योग के प्रति प्रोत्साहित करेंगे. शिक्षक, बड़ी कक्षाओं के छात्रों को स्वस्तिकासन/वज्रायन करना सिखाएंगे.

इसके साथ ही फेफड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए छात्रों को अनुलोम, विलोम और प्राणायाम भी सिखाया जाएगा. लेकिन, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन करना जरूरी होगा.

सरकार ने शिक्षा विभाग को स्कूल खुलने पर ‘बैक टू स्कूल’ मुहिम शुरू करने के लिए कहा है. इसके तहत विशेष रूप से बालिकाओं, दिव्यांग छात्रों, प्रवासी श्रमिकों के बच्चे, एससी-एसटी वर्ग के बच्चों पर फोकस किया जाएगा.

निर्धन वर्ग के बच्चों को भी शिक्षा से जोड़ने के लिए नए सिरे से प्रयास करने होंगे. इधर, शिक्षा मंत्री ने बताया कि दसवीं और बारहवीं को छोड़कर बाकी कक्षाओं पर भविष्य में विचार किया जाएगा.

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