सरकारी भोपू ग्‍लोबल टाइम्‍स की धमकी, पांच सूत्री सहमति को लागू करे भारत नहीं तो चीन युद्ध को तैयार

पेइचिंग|….पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव के बीच चीन के नेता एक तरफ जहां शांति की बात कर रहे हैं, वहीं उसका सरकारी भोपू ग्‍लोबल टाइम्‍स युद्ध की धमकी देने में लगा हुआ है.

चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन ने कहा कि चीनी सेना भारतीय टैंकों का खात्‍मा करने का अभ्‍यास कर रहे हैं.

उन्‍होंने धमकी दी कि अगर भारत ने मास्‍को में विदेश मंत्रियों के बीच हुई पांच सूत्री सहमति को लागू नहीं करता है तो चीनी सेना भारत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान के बाद चीन को तीखी मिर्ची लगी है. शिजिन ने दावा किया कि चीनी सेना के दबाव की वजह से भारतीय सेना के रुख में नरमी आई है.

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि भारत कठोर रवैया अपना रहा है और दोनों के बीच यह तनाव आने वाले ठंड के महीनों तक जारी रह सकता है.

उसने कहा कि चीनी सेना को सर्दियों के मौसम तक गतिरोध के जारी रहने के लिए तैयार रहना चाहिए.

बता दें कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच 5 सूत्री सहमति होने के बाद भी चीन का सरकारी प्रोपेगैंडा मीडिया भारत को धमकाने और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में जुटा हुआ है.

चीनी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विश्‍लेषक झांग शेंग के हवाले से दावा किया कि भारत पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलती को दोहरा रहा है.

उसने कहा कि भारत का वर्तमान प्रशासन सीमा पर आक्रामक व्‍यवहार दिखा रहा है. झांग ने कहा कि वर्तमान स्थिति वर्ष 1962 की तरह से ही है.

उन्‍होंने आरोप लगाया कि भारत अपने हितों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय की मदद से चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. वर्ष 1962 में चीन सबसे अलग थलग था.

उस समय चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा था और उस समय रूस से भी चीन अलग राह पर चल रहा था. जबकि भारत उस समय गुटन‍िरपेक्ष आंदोलन का अगुवा था.

चीनी विश्‍लेषक ने आरोप लगाया कि वर्ष 1962 में भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय माहौल का फायदा उठाने की कोशिश की थी. इसका परिणाम यह हुआ कि भारत ने तीसरी दुनिया के देशों के नेता पदवी भी खो दी.

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