जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) की 19 दिनों से बंदी ने कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों को गहरे संकट में डाल दिया है। भारी बारिश और भूस्खलनों के कारण यह मार्ग बंद हुआ, जिससे हजारों ट्रक लदे सेब सड़ने लगे। कश्मीर घाटी फल उत्पादक संघ के अनुसार, इस बंदी से लगभग ₹700 करोड़ का नुकसान हुआ है। मुगल रोड जैसे वैकल्पिक मार्ग भी अपर्याप्त साबित हो रहे हैं, जिससे परिवहन लागत में वृद्धि हुई है।
कृषि मंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया है।किसान संगठनों ने 14-15 सितंबर को दो दिवसीय मंडी बंद का आह्वान किया, जिसमें उन्होंने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
रेलवे ने राहत के रूप में 13 सितंबर से विशेष पार्सल ट्रेन सेवा शुरू की है, जो बडगाम से दिल्ली तक सेब लाने का कार्य करेगी। हालांकि, किसानों का कहना है कि यह सेवा केवल सोपोर तक विस्तारित की जानी चाहिए, जो एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी है।
यह संकट कश्मीर की ₹12,000 करोड़ की सेब उद्योग के लिए अस्तित्व का प्रश्न बन गया है। किसान और व्यापारी सरकार से तत्काल कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।