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यादें शेष: भाजपा के पहले फायर ब्रांड नेता और आक्रामक फैसले के लिए जाने जाते थे कल्याण सिंह

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आज भारतीय जनता पार्टी का कल्याण युग खत्म हो गया. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह ने लंबी बीमारी के बाद 89 साल की आयु में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में शनिवार रात करीब 9:15 अंतिम सांस ली. कल्याण सिंह पिछले काफी समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे. उन्हें चार जुलाई को संजय गांधी पीजीआई के आईसीयू में गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया था.

लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण आज उन्होंने अंतिम सांस ली. पिछले काफी समय से पार्टी के बड़े नेताओं ने अस्पताल में जाकर उनका हाल भी जाना था. शुक्रवार को दिल्ली से लौटने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी सीधे ही कल्याण सिंह से मिलने पहुंचे थे. जैसे ही उनके निधन की खबर पहुंची लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और विनय कटियार समेत तमाम भाजपा के नेताओं ने गहरा शोक जताते हुए श्रद्धांजलि दी है.

‘भारतीय जनता पार्टी में कल्याण एक ऐसे नेता थे जो अपने फायर ब्रांड और आक्रामक फैसले के लिए जाने जाते थे’ . पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच में ‘बाबूजी’ नाम से भी विख्यात थे. वे जन जन के नेता थे. उत्तर प्रदेश में जब पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो कल्याण सिंह पहले मुख्यमंत्री थे.

राम जन्मभूमि मामले में कल्याण सिंह देश और विदेशों तक सबसे चर्चित नेता के तौर पर उभरे थे. भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का पार्टी के साथ ही भारतीय राजनीति में कद काफी बड़ा था. अलीगढ़ के अतरौली विधानसभा सीट से वे कई बार विधायक रहे. अयोध्या के विवादित ढांचा के विंध्वस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे.

बता दें कि पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे. इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी. कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचा के विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए छह दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद भाजपा ने बसपा के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई. तब कल्याण सिंह सितंबर 1997 से नवंबर 1999 में एक बार फिर मुख्यमंत्री बने. गठबंधन की सरकार में मायावती पहले मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन जब भाजपा की बारी आई तो उन्होंने समर्थन वापस ले लिया.

बसपा ने 21 अक्टूबर 1997 को कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया. पार्टी से मतभेद होने पर साल 1999 में कल्याण सिंह भाजपा से नाराज होकर मुलायम सिंह के साथ जुड़ गए थे. करीब पांच वर्ष बाद जनवरी 2003 में उनकी भाजपा में फिर वापसी हो गई. भाजपा ने 2004 लोकसभा चुनाव में उनको बुलंदशहर से प्रतत्याशी बनाया और उन्होंने जीत दर्ज की.

इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव 2009 से पहले भाजपा को छोड़ दिया. वह एटा से 2009 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़े और जीत दर्ज की. 2010 में कल्याण सिंह ने अपनी पार्टी बनाई जन क्रांति पार्टी भी बनाई . साल 2013 में एक बार फिर कल्याण सिंह की भाजपा में वापसी हो गई.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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