कर्नाटक सरकार ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए 60 आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला किया है। इनमें से 11 मामले उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के समर्थकों से संबंधित हैं, जो 2019 में उनके ED गिरफ्तारी विरोध में हुई पत्थरबाज़ी के दौरान दर्ज थे।
ये मामले कानकपुरा, सत्यनूर और कोढिहल्ली पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे, जिसमें आरोपियों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और सार्वजनिक आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप था। इस फैसले को गृह मंत्री डॉ. जी. परமேಶ्वर और विधायिका में सरकार के मुख व्हिप अशोक पटन की याचिकाओं के आधार पर मंजूरी दी गई।
इस निर्णय के चलते शैक्षणिक, किसान, दलीत और कन्नड़वादी संगठनों से जुड़े अन्य मामलों को भी वापस लेने का प्रस्ताव रखा गया है।
बीजेपी नेता सी.एन. अश्वथ नारायण ने इस कदम की तीखी आलोचना की और इसे “शक्तिसे दमन” बताया, यह कहते हुए कि उच्च न्यायालय पहले भी ऐसे कदमों को अवैध घोषित कर चुका है।साथ ही,NDTV ने यह उल्लेख किया कि इस फैसले के खिलाफ पुलिस और कानून विभाग की आपत्ति सत्ताधीन मंत्रिमंडल द्वारा अनसुनी की गई।