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राम मंदिर के लिए हुई मूर्ति का चयन, अरुण योगिराज बनाई है रामलला की मूर्ति

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अयोध्या के राम मंदिर के लिए रामलला की तीन में से एक मूर्ति का चयन कर लिया गया है. इस मूर्ति को देश के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. इस बारे में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगिराज ने रामलला की मूर्ति बनाई है. जो अयोध्या के भव्य राम मंदिर में स्थापित की जाएगी. बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी. जिसमें मुख्य यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे. जो राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे.

अरुण योगीराज की मूर्ति का राम मंदिर के लिए चयन होने पर बीएस येदियुरप्पा ने खुशी जताई. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘मैसुरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति का अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में स्थापना के चयन किया गया है. इससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और खुशी दोगुनी हो गई है. शिल्पी योगिराज अरुण को हार्दिक बधाई.”

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी राम मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति के चयन की एक्स के माध्यम से जानकारी दी. उन्होंने एक तस्वीर शेयर करते हुए इस बात की खुशी जताई कि कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर लिखा, “जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं. अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्ति का चयन हो गया है.

हमारे देश के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, हमारे गौरव अरुण योगीराज के द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित की जाएगी. यह राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हनुमान की भूमि कर्नाटक से रामलला के लिए यह एक महत्वपूर्ण सेवा है.”

बता दें कि राम मंदिर में रामलला की अचल मूर्ति के लिए 12 पत्थर मंगवाए गए थे. ये पत्थर नेपाल की गंडकी नदी के अलावा कर्नाटक, राजस्थान और ओडिशा से आए थे. उसके बाद इन पत्थरों की जांच परख की गई. जिसमें राजस्थान और कर्नाटक के पत्थर ही मूर्ति निर्माण के लिए बेहतर माने गए. इसके बाद इनपर रामलला की प्रतिमा उकेगी गई.

बता दें कि कर्नाटक की श्याम शिला और राजस्थान के मकराना की संगमरमर शिला को मूर्ति निर्माण के लिए चुना गया था. क्योंकि राजस्थान के मकराना की शिला बहुत कठोर होती है जो नक्काशी के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है. इसके अलावा इसकी चमक सदियों तक बनी रहती है. जबकि कर्नाटक की श्याम शिला पर नक्काशी आसान होती है ये शिलाएं जलरोधी और लंबे समय तक चलने वाली होती हैं.

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