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कार्तिक पूर्णिमा 2020: जानें पूर्णिमा पूजन की प्राचीन विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

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कार्तिक पूर्णिमा

इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा 30 नवंबर 2020 को पड़ रही है. इस दिन दान और गंगा स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है. इसी दिन गुरुनानक जयंती होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.

पुराणों में भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि कार्तिक माह विष्णु जी को प्रिय होता है. इस दिन देव दिवाली मनाने की भी परंपरा है. वहीं कार्तिक मास की एकादशी के दिन तुलसी का भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ विवाह हुआ था.

वहीं कहा जाता है कि पूर्णिमा तिथि के दिन तुलसी का बैकुंठ धाम में आगमन हुआ था. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा का खास महत्व है. यह भी कहा जाता है कि इसी दिन तुलसी का पृथ्वी पर आगमन भी हुआ था. इस दिन श्रीहरि की पूजा में तुलसी अर्पित करना लाभदायक होता है.

ऐसी मान्यता है कि इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है. कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है.

पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा आरंभ- 29 नवंबर 2020 को रात 12 बजकर 47 मिनट से
कार्तिक पूर्णिमा समाप्त- 30 नवंबर 2020 को रात 02 बजकर 59 मिनट तक
29 नवंबर की रात्रि में पूर्णिमा तिथि लगने के कारण 30 नवंबर को दान-स्नान किया जाएगा.

शास्त्रों में तुलसी के पौधे को लक्ष्मी का रूप बताया गया है यानी जहां पर तुलसी होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है. यह एक अद्भुत औषधीय पौधा है. तुलसी का पौधा घर में लगाने से नेगेटिव एनर्जी खत्म होती है और पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है.

तुलसी का पौधा घर में आने वाली विपत्ति को रोकने के साथ-साथ रोगों के नाश के लिए भी एक अच्छा उपाय है. साथ ही यह परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ होती है. तुलसी का पौधा घर में होने से मन को शांति और प्रसन्नता मिलती है.

तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको मुसीबतों के बारें में पहले से ही सतर्क कर देता है. इस बारे में धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है.

पुराणों और शास्त्रों में बताया गया है कि जिस घर पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी कि तुलसी चली जाती है या सूख जाती है क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां भी होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास कभी नहीं होता

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