विशेष: बुरांश फूलों की खिलखिलाहट से उत्तराखंड में रौनक छाई लेकिन इस बार भी चिंता बढ़ा दी

आज बात करेंगे फूलों की. एक ऐसा फूल जो उत्तराखंड देवभूमि की शान समझा जाता है. जब यह फूल खिलखिलाता है तब इस राज्य की खूबसूरती भी यौवन पर आ जाती है. यही नहीं देवभूमि के लोग इस फूल के प्रति अपनापन का एहसास भी करते हैं. आज रविवार है यानी फुर्सत और सुकून के पलों के बीच हम आपको उत्तराखंड के धरोहर कहे जाने वाले बुरांश फूल के बारे में बताने जा रहे हैं. हर वर्ष जब यह फूल खिलखिलाता था तब देवभूमि झूम उठती थी.

गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं. इसके आगमन से पहाड़ों की धरती लाल श्रृंगार करती है . लेकिन इस बार बुरांश फूल के खिलने पर लोग चिंतित है. इस चिंता का कारण भी जान लेते हैं . इस साल यह कोई पहला मौका नहीं है बल्कि पिछले कुछ वर्षों से बुरांश समय से पहले खिल रहा है.

बुरांश का फूल जो आमतौर पर मार्च के दूसरे सप्ताह के बाद या अप्रैल में खिलता था अब वो फरवरी महीने में ही खिलने लगा है. वैज्ञानिकों ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ऐसा हो रहा है. इसकी वजह मध्य हिमालयी क्षेत्र में क्लाइमेट चेंज को माना जा रहा है. जबकि, कुछ लोगों का कहना है बर्फबारी और बारिश में गिरावट के चलते ये परिवर्तन देखने को मिला है . स्थानीय लोगों ने बताया कि इस साल कम सर्दी के कारण बुरांश पहले खिलने लगा है. दूसरी और किसान खुश हैं.

यहां हम आपको बता देंं कि बुरांश पहाड़ी संजीवनी नाम से भी विख्यात है और इसे कई बीमारियों में फायदेमंंद भी बताया जाता है, इस फूल से औषधि भी बनाई जाती है . आइए बुरांश की खासियत कुछ और जानते हैं .

कई प्रजातियों वाला बुरांश को देवभूमि का ‘राज्य वृक्ष’ भी कहा जाता है

बता दें कि उत्तराखंड में बुरांश ये प्रजातियां रोडोडेड्रोन बारबेटम, रोडोडेंड्रोन केन्पानुलेटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेंडोन लेपिडोटम पाई जाती हैं. उत्तराखंड सरकार ने बुरांश की खूबसूरती को लेकर इसे ‘राज्य वृक्ष’ का भी दर्जा दिया है.

बुरांंश की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो ऊंचाई और स्थान के हिसाब से अलग-अलग होती हैं. आमतौर पर बुरांंश लाल, गुलाबी और सफेद रंग के देखने को मिलते हैं. जिसमें लाल रंग के बुरांंश का उपयोग ज्यादा किया जाता है . कहां जाता है कि बुरांंश में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसका जूस और शरबत बेहतर पेय पदार्थ में शामिल है. बुरांश जूस को हृदय रोग और लिवर पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है.

इसके अलावा यह पुष्प तेज बुखार, गठिया, फेफड़े संबंधी रोग में भी इंफलामेसन, उच्च रक्तचाप, हीमोग्लोबिन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने, हृदय और पाचन संबंधी रोगों में लाभदायक है. दूसरी ओर पहाड़ों में यह फूल लोगों की आमदनी का जरिया भी है. लोग बुरांंश का जूस बेचकर आजीविका भी चलाते हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र को बुरांश का गढ़ माना जाता है.

जौनसार-जौनपुर की पहाड़ि‍यों से लेकर चमोली के ग्वलदाम-गैरसैंण के 1650 मीटर से 3400 मीटर की ऊंचाई तक के क्षेत्र में बुरांश के जंगल हैं. बुरांश की महक उत्तराखंड तक सीमित नहीं है बल्कि भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बुरांंश के फूल को राष्ट्रीय फूल घोषित किया गया है. इसके साथ यह हिमाचल प्रदेश में भी यह अपनी खुशबू बिखेरता है.


शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

Related Articles

विज्ञापन

Latest Articles

Ind Vs Aus 3rd T20: गायकवाड़ के शतक पर भारी पड़ी मैक्सवेल की सेंचुरी,...

0
गुवाहाटी में खेले गए तीसरे टी20 में ग्लेन मैक्सवेल ने कमाल कर दिया. मैक्सवेल ने सिर्फ 48 गेंदों में 8 चौके और 8 छक्के...

सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को एक-एक लाख की आर्थिक सहायता देगी सरकार अस्पताल...

0
सिलक्यारा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों सभी श्रमिकों को सरकार एक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता...

पीएम मोदी ने फोन कर दी सीएम धामी को बधाई, पीएम ने श्रमिकों को...

0
देहरादून। पीएम मोदी ने सिल्क्यारा में 41 के 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाले जाने पर सीएम धामी को फोन कर अपनी शुभकामनाएं दी....

सीएम धामी ने बचाव दल की पूरी टीम को दी बधाई, कहा-श्रमिकों और उनके...

0
सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर निकलने पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस अभियान में जुटे समस्त बचाव दल को...

मिशन सिलक्यारा हुआ सफल, 17वें दिन सुरंग से सकुशल बाहर आए सभी 41 श्रमिक

0
देहरादून। मंगलवार को पूरे देश के लिए मंगलमयी खबर सामने आई है. डबल इंजन सरकार के सशक्त नेतृत्व और रेस्क्यू टीमों के अथक परिश्रम...

उत्तरकाशी: 17 दिन बाद टनल से बाहर आए मजदूर, चेहरे पर दिखी अलग ही...

0
उत्तरकाशी स्थित टनल में फंसे मजदूरों को 17 दिन बाद आखिर बाहर निकाल लिया गया है. भारतीय एजेंसियों ने मलबे के अंदर पाइप को...

उत्तरकाशी टनल हादसा: जीत गई जिंदगी, सभी मजदूर आए बाहर-एम्बुलेंस से भेजे गए अस्पताल

0
उत्तरकाशी स्थित सिल्क्यारा के सुरंग में फंसे मजदूर आखिरकार 17वें दिन बाहर आ ही गए. मंगलवार की दोपहर, उनके लिए जिन्दगी की नई रोशनी...
अखिलेश यादव

उत्तरकाशी रेस्क्यू पर अखिलेश यादव ने उत्तराखंड सरकार को दी ये हिदायत

0
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 नवंबर को निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में भूस्खलन के कारण 41 मजदूर उसमें फंस गए थे. जिसके बाद से ही...

उत्तरकाशी टनल हादसा: मजदूरों के बाहर आने के बाद क्या है आगे का प्लान…कहां...

0
उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद आज बाहर निकाल लिया जाएगा. मजदूरों को फूल मालाएं पहना कर उनका स्वागत करने...

सीएम धामी ने किया छठवें वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन का शुभारम्भ

0
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने क्लेमेंट टाउन स्थित, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में 6वें आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया. 28...