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व्रत में कामना: पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के साथ महिलाओं के सौंदर्य का भी प्रतीक है करवाचौथ

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करवाचौथ

महिलाओं का एक ऐसा व्रत जिसमें सच्चा प्रेम और सुख-समृद्धि के साथ पति की लंबी आयु की कामना से जुड़ा हुआ है. यही नहीं सुहागिन महिलाओं के लिए यह सबसे बड़ा ‘व्रत’ माना जाता है. इसके लिए महिलाओं को साल भर का इंतजार रहता है.

यह महिलाओं के सौंदर्य से भी जुड़ा हुआ है. संडे होने से छुट्टी का दिन भी है. सुहागिन महिलाओं की मनोकामना भी पूरी हो गई है. आज बात करेंगे करवा चौथ व्रत की. पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखा जाता है.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ का व्रत अखंड सुहाग के लिए रखा जाता है. हिंदू धर्म में इसका काफी महत्व है. रविवार का दिन हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को समर्पित है. इस दिन व्रत रखने से सूर्यदेव अति प्रसन्न होकर भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं.

इससे व्रती को भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होगी. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य की कृपा से भक्त को दीर्घायु की प्राप्त के साथ आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है. करवा चौथ व्रत भी दीर्घायु के लिए रखा जाता है, ऐसे में रविवार के दिन करवा चौथ व्रत का महत्व अधिक बढ़ गया है. इस दिन सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं.

हाथों में मेहंदी लगाती है. इस‍ बार बेहद शुभ ‘योग’ बन रहा है. करवा चौथ के दिन इस बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन होगा यह संयोग पांच साल बाद बन रहा है. चंद्रमा की स्थिति रोहिणी नक्षत्र पर निर्भर है.

चंद्रमा रोहिणी से अत्यन्त प्रेम करते हैं इसलिए इस दिन व्रत रखने से व्रती महिला के पति को दीर्घायु के साथ ही उनके प्रेम और दांपत्य जीवन में मधुरता की प्राप्ति होती है. सुहागिनों को इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्‍त होगा. करवाचौथ का व्रत करने से पति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं आता है. साथ ही पति को लंबी आयु भी मिलती है.

करवाचौथ पर शिव-पार्वती कार्तिकेय गणेश के साथ चंद्रमा का किया जाता है पूजन
करवाचौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन किए जाने का विधान है. महाभारत से संबंधित पौरणिक कथा के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत गए थे. दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आने लगते हैं.

द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से इसके उपाय पूछती हैं. तब श्रीकृष्ण बताते हैं कि यदि वह कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल जाएगी. द्रौपदी विधि-विधान सहित करवा चौथ व्रत रखती है और इससे उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं .

पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का पारण करती हैं. अपने पति की समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. शुभ मुहूर्त यह है .

रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू हो कर जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. इस दिन चंद्रमा निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6:55 से लेकर 8:51 तक रहेगा.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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