जन्मदिन विशेष: जानिए रामकृष्ण परमहंस उर्फ गदाधर चटर्जी कैसे बने महान संत और विचारक

रामकृष्ण परमहंस भारत के बहुत प्रसिद्ध संत में से एक हैं. स्वामी विवेकानंद जी इनके विचारों से प्रेरित थे, इसी कारण विवेकानंद जी ने इन्हें अपना गुरु माना और इनके विचारों को गति प्रदान करने के लिए रामकृष्ण मठ की स्थापना की, जो कि बेलूर मठ के द्वारा संचालित हैं. रामकृष्ण मठ और मिशन नामक यह संस्था जन मानुष के कल्याण के लिए एवं उनके आध्यात्मिक विकास के लिए दुनियाँ भर में काम करती हैं.

रामकृष्ण जयंती 2021 कब मनाई जाती हैं
हिंदू कैलेंडर के अनुसार रामकृष्ण जयंती फाल्गुन द्वितीय तिथी शुक्ल पक्ष विक्रम संवत् 1892. जब श्री रामकृष्ण का जन्म हुआ था. तो प्रति वर्ष मनाई जाती हैं. इस प्रकार इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह रामकृष्ण जयंती फरवरी अथवा मार्च में मनाई जाती हैं. इस साल 2021 में यह जयंती 15 मार्च, दिन सोमवार को मनाई जाएगी.

रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय व इतिहास 
राम कृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे, जिनके विचारों को स्वयं विवेकानंद जी ने पूरी दुनियाँ में फैलाया. राम कृष्ण परमहंस जी ने सभी धर्मो को एक बताया. उनका मानना था सभी धर्मो का आधार प्रेम. न्याय और परहित ही हैं. उन्होंने एकता का प्रचार किया.

राम कृष्ण परमहंस जी का जन्म 18 फरवरी सन 1836 में हुआ था. बाल्यकाल में इन्हें लोग गदाधर के नाम से जानते थे. यह एक ब्राह्मण परिवार से थे. इनका परिवार बहुत गरीब था लेकिन इनमे आस्था. सद्भावना. एवं धर्म के प्रति अपार श्रद्धा एवम प्रेम था.

राम कृष्ण परमहंस जी देवी काली के प्रचंड भक्त थे. उन्होंने अपने आपको देवी काली को समर्पित कर दिया था. राम कृष्ण परमहंस जी के विचारों पर उनके पिता की छाया थी. उनके पिता धर्मपरायण सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. यही सारे गुण राम कृष्ण परमहंस जी में भी व्याप्त थे. उन्होंने परमहंस की उपाधि प्राप्त की और मनुष्य जाति को अध्यात्म का ज्ञान दिया.

इन्होने सभी धर्मो को एक बताया. इनके विचारों से कई लोग प्रेरित हुए, जिन्होंने आगे चलकर इनका नाम और अधिक बढ़ाया. राम कृष्ण परमहंस जी को गले का रोग हो जान के कारण इन्होने 15 अगस्त 1886 को अपने शरीर को छोड़ दिया और मृत्यु को प्राप्त हुए. इनके अनमोल वचनों ने कई महान व्यक्तियों को जन्म दिया.

संत से परमहंस बनने तक की कहानी
रामकृष्ण जी के परमहंस उपाधि प्राप्त करने के पीछे कई कहानियाँ हैं. परमहंस एक उपाधि हैं यह उन्ही को मिलती हैं, जिनमे अपनी इन्द्रियों को वश में करने की शक्ति हो. जिनमे असीम ज्ञान हो और यही उपाधि रामकृष्ण जी को प्राप्त हुई और वे रामकृष्ण परमहंस कहलाये.

रामकृष्ण एक प्रचंड काली भक्त थे, जो माँ काली से एक पुत्र की भांति जुड़े हुए थे, जिनसे उन्हें अलग कर पाना ना मुमकिन था. जब रामकृष्ण माता काली के ध्यान में जाते और उनके संपर्क में रहते, तो वे नाचने लगते. गाने लगते और झूम- झूम कर अपने उत्साह को दिखाते, लेकिन जैसी ही संपर्क टूटता, वो एक बच्चे की तरह विलाप करने लगते और धरती पर लोट पोट करने लगते. उनकी इस भक्ति के चर्चे सभी जगह थे. उनके बारे में सुनकर संत तोताराम जो, कि एक महान संत थे, वो रामकृष्ण जी से मिलने आये और उन्होंने स्वयं रामकृष्ण जी को काली भक्ति में लीन देखा. तोताराम जी ने रामकृष्ण जी को बहुत समझाया, कि उनमे असीम शक्तियाँ हैं, जो तब ही जागृत हो सकती हैं, जब वे अपने आप पर नियंत्रण रखे. अपनी इन्द्रियों पर अपना नियंत्रण रखे, लेकिन रामकृष्ण जी अपनी काली माँ के प्रति अपने प्रेम को नियंत्रित करने में असमर्थ थे.

तोताराम जी उन्हें कई तरह से मनाते, लेकिन वे एक ना सुनते. तब तोताराम जी ने रामकृष्ण जी से कहा, कि अब जब भी तुम माँ काली के संपर्क में आओ, तुम एक तलवार से उनके तुकडे कर देना. तब रामकृष्ण ने पूछा मुझे तलवार कैसे मिलेगी ? तब तोताराम जी ने कहा – अगर तुम अपनी साधना से माँ काली को बना सकते हो. उनसे बाते कर सकते हो. उन्हें भोजन खिला सकते हो. तब तुम तलवार भी बना सकते हो.

अगली बार तुम्हे यही करना होगा. अगली बार जब रामकृष्ण जी ने माँ काली से संपर्क किया तब वे यह नहीं कर पाए और वे पुनः अपने प्रेम में लीन हो गए. जब वे साधना से बाहर आये, तब तोताराम जी ने उनसे कहा कि तुमने क्यूँ नहीं किया. तब फिर से उन्होंने कहा कि अगली बार जब तुम साधना में जाओगे, तब मैं तुम्हारे शरीर पर गहरा आघात करूँगा और उस रक्त से तुम तलवार बनाकर माँ काली पर वार करना. अगली बार जब रामकृष्ण जी साधना में लीन हुए. तब तोताराम जी ने रामकृष्ण जी के मस्तक पर गहरा आघात किया, जिससे उन्होंने तलवार बनाई और माँ काली पर वार किया. इस तरह संत तोताराम जी ने रामकृष्ण जी को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण करना सिखाया.

रामकृष्ण जी ने कई सिद्धियों को प्राप्त किया. अपनी इन्द्रियों को अपने वश में किया और एक महान विचारक एवं उपदेशक के रूप में कई लोगो को प्रेरित किया. उन्होंने निराकार ईश्वर की उपासना पर जोर दिया. मूर्ति पूजा को व्यर्थ बताया. उनके ज्ञान के प्रकाश के कारण ही इन्होने नरेंद्र नाम के साधारण बालक जो कि आध्यात्म से बहुत दूर. तर्क में विश्वास रखने वाला था. को आध्यात्म का ज्ञान कराया. ईश्वर की शक्ति से मिलान करवाया और उसे नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बनाया. राष्ट्र को एक ऐसा पुत्र दिया, जिसने राष्ट्र को सीमा के परे सम्मान दिलाया. जिसने युवावर्ग को जगाया और रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर देश जागरूकता का अभियान चलाया और अपने गुरु को गुरुभक्ति दी.

रामकृष्ण परमहंस अनमोल वचन
ख़राब आईने में जैसे सूर्य की छवि दिखाई नहीं पड़ती. वैस ही ख़राब मन में भगवान की मूरत नहीं बनती.

धर्म सभी समान हैं. वे सभी ईश्वर प्राप्ति का रास्ता दिखाते हैं.

अगर मार्ग में कोई दुविधा ना आये तब समझना की राह गलत हैं.

जब तक देश में व्यक्ति भूखा और निसहाय हैं. तब तक देश का हर एक व्यक्ति गद्दार हैं.

विषयक ज्ञान मनुष्य की बुद्धि को सीमा में बांध देता हैं और उन्हें अभिमानी भी बनाता हैं.

राम कृष्ण परमहंस के कई ऐसे अनमोल वचन हैं जो मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं.

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