Home ताजा हलचल पहली नज़र का प्यार आखिर कैसे होता है! वैज्ञानिकों ने बताया केमिकल...

पहली नज़र का प्यार आखिर कैसे होता है! वैज्ञानिकों ने बताया केमिकल फण्डा

0
सांकेतिक फोटो

पहली नज़र का प्यार आखिर कैसे होता है? किसी से पहली बार मिलते ही उसकी हर चीज़ आपको अपने जैसी लगने लगती है. लगता है आप एक-दूसरे को बरसों से जानते हैं. इसके पीछे भावनात्मक वजहें आपने तमाम ढूंढ ली होंगी, लेकिन सच ये है कि एक वैज्ञानिक वजह भी होती है, जो अगले इंसान से आपको दिल से जोड़ देती है.

वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एक स्टडी की है. स्टडी में लोगों को ब्लाइंड डेट पर भेजा गया और ये जानने की कोशिश की गई, कि कुछ लोगों के बीच पहली मुलाकात के बाद ही केमिस्ट्री कैसे डेवलप हुई? उन लक्षणों की स्टडी की गई , जो उन लोगों में दिखाई दिए, जिन्हें पहली ही नज़र में प्यार हो गया. इस शोध से बेहद दिलचस्प खुलासे हुए हैं.

मिलने लगती हैं दिल की धड़कनें
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान को किसी से पहली नज़र के प्यार का एहसास तब होता है, जब दो लोगों के दिल की धड़कनें एक ही धुन में चल रही होती हैं. वैज्ञानिक भाषा में इसे हार्ट रेट का सिंक्रोनाइज़ होना कहते हैं. ऐसी स्थिति में हथेलियों हल्का-हल्का पसीना आने लगता है. आपका दिमाग और शरीर एक संतुलन में काम करने लगते हैं.

ये केमिस्ट्री सामने वाले की केमिस्ट्री से जब मिलने लगती है, तो आपको बिल्कुल अलग लगाव का एहसास होता है. Nature Human Behavior नाम के जर्नल में ये रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. प्रमुख वैज्ञानिक और नीदरलैंड्स स्थित लीडेन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एलिस्का प्रोशाजकोवा का कहना है कि इंसान के लुक पर ही नहीं बल्कि उसके व्यवहार पर भी निर्भर करता है.

मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है पहली नज़र का प्यार
शोध में ये बात भी बताई गई है कि ये मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है. ऐसा कई बार होता है कि शारीरिक लक्षणों के बाद ये शुरू होती है. इसका अहम लक्षण दो लोगों की धड़कनों का एक ही धुन में चलना है. इस स्टडी में 142 हेट्रोसेक्सुअल और लड़कियों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 18-38 साल के बीच थी.

इन्हें ब्लाइंड डेट के लिए भेजा गया. डेटिंग केबिंस में आई-ट्रैकिंग ग्लासेज़, हार्ट रेट मॉनिटर्स और पसीना जांचने के उपकरण लगाए गए थे. 142 में से 17 जोड़े ऐसे थे, जिन्हें पहली नज़र के प्यार का एहसास हुआ.

उनके दिल की धड़कनें एक लय में चल रही थीं. इसे वैज्ञानिकों ने फिजियोलॉजिकल सिंक्रोनी का नाम दिया है, जिसमें आप एक तरह से बेहोश हो जाते हैं. जो आप होश में नहीं कर सकते हैं, वो उस वक्त आप कर रहे होते हैं.

साभार-न्यूज 18

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version