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विशेष: मंगल ग्रह पर ‘रोवर’ के सफल अभियान के पीछे भारत की बेटी स्वाति की रही अहम भूमिका

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भारत-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन

भारतीयों ने बता दिया कि हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ क्यों है. एक बार फिर से भारत की प्रतिभा का लोहा माना. दुनिया के तमाम विकसित देशों में हमारे देश के वैज्ञानिक, डॉक्टर और इंजीनियर सभी बड़े पोस्ट पर काबिज है. कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद एक और भारतीय बेटी ने अंतरिक्ष में फिर से देश का गौरव बढ़ा दिया.

आज हम बात करेंगे ‘नासा’ की.अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में जश्न मनाया जा रहा है, क्योंकि उसका एक और अंतरिक्ष मिशन सफलता की ओर तेजी के साथ बढ़ रहा है. लेकिन इस कामयाबी के पीछे अहम भूमिका भारत-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन की रही. देश में भी खुशी का माहौल है वहीं दूसरी ओर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के वैज्ञानिकों ने स्वाति मोहन को बधाई दी है.

भारतीय मूल की एक और अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्वाति पर दुनिया गर्व कर रही है. हम आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ द्वारा भेजा गया रोवर बृहस्पतिवार को मंगल ग्रह पर उतरने की दिशा में चल पड़ा. रोवर को किसी ग्रह की सतह पर उतारना अंतरिक्ष विज्ञान में सबसे जोखिम भरा कार्य होता है.

इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय-अमेरिकी डॉ स्वाति मोहन की कड़ी मेहनत का नतीजा रहा. नासा ने गुरुवार देर रात करीब 2.30 बजे अपने मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराया.

छह पहिए वाला यह रोवर मंगल ग्रह पर उतरकर वहां पर कई तरह की जानकारी जुटाएगा और ऐसी चट्टानें लेकर आएगा, जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकेगा कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था. इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय-अमेरिकी डॉ. स्वाति मोहन ने कहा कि मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टि हो गई है.अब यह जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने के लिए तैयार है.

स्वाति मोहन का जन्म कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ था। स्वाति जब एक साल की थी तब उनके माता-पिता भारत से अमेरिका चले गए थे.उनका बचपन उत्तरी वर्जीनिया-वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में बीता। स्वाति ने अपनी शुरुआती पढ़ाई के दौरान ठान लिया था कि उन्हें अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना करियर बनाना है. 9 साल की उम्र में पहली बार उन्होंने ‘स्टार ट्रेक’ देखी जिसके बाद वह ब्रह्मांड के नए क्षेत्रों के सुंदर चित्रों को देखकर आश्चर्य से भर गई थीं.

तब से वह ऐसा ही कुछ करना चाहती थीं. उनका सपना था कि वह ब्रह्मांड में ऐसे स्थान खोजें जो नए हों और अचरज से भरे हों. स्वाति ने मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स /एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की.

बता दें कि डॉ. स्वाति मोहन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में विकास प्रक्रिया के दौरान प्रमुख सिस्टम इंजीनियर होने के अलावा, टीम की देखभाल भी करती हैं और गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग का शेड्यूल करती हैं. स्वाति पासाडेना, सीए में नासा के जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में शुरुआत से ही मार्स रोवर मिशन की सदस्य रही हैं, इसके साथ ही डॉ. स्वाति नासा के विभिन्न महत्वपूर्ण मिशनों का हिस्सा भी रही हैं.

स्वाति ने कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और ग्रेल (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी काम किया है. आज जब रोवर मंगल पर लैंड कर गया है तो स्वाति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

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