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अब पीएम मोदी के रवींद्र नाथ टैगोर का गुजरात से रिश्ता निकालने पर ‘दीदी का मूड फिर ऑफ’

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पश्चिम बंगाल को लेकर भाजपा और सीएम ममता बनर्जी के बीच आए दिन विवाद सुर्खियों में छाया रहता है. अभी पिछले दिनों ही गृहमंत्री अमित शाह दो दिन के दौरे पर कोलकाता पहुंच कर सियासत को गर्म कर आए थे. ‘आज पीएम मोदी ने सीएम ममता बनर्जी को एक और भावनात्मक सियासी चोट दे दी’.

आइए आपको बताते हैं पीएम ने आज ऐसा क्या कहा जिस पर तृणमूल कांग्रेस फिर गुस्सा गई है और ‘दीदी का मूड ऑफ’ हो गया है. पीएम मोदी राजनीति के साथ जीवन की हर विधा में ‘मास्टर’ बनना चाहते हैं. कोरोना महामारी के दौरान पिछले कुछ महीनों से पीएम मोदी विभिन्न रूपों में सामने आ रहे हैं.

बता दें कि उन्होंने जो नया भेष धारण किया है वह एक ‘धर्मगुरु’ के रूप में सामने आया है. आज इसी कड़ी में मोदी ने राजधानी दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से पश्चिम बंगाल के विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में विद्यार्थियों को शिक्षा-दीक्षा का अर्थ समझाया. ‘अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने रवींद्र नाथ टैगोर को गुजरात से भी जोड़कर पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर गरमा दी है’.

पीएम ने एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस के साथ ममता बनर्जी को उग्र कर दिया. यही नहीं पीएम ने आज गुरुदेव टैगोर की खूब खुलकर प्रशंसा भी की. पीएम ने कहा कि आजादी के आंदोलन में विश्वभारती यूनिवर्सिटी का योगदान है, जिसने हमेशा राष्ट्रवाद की प्रेरणा दी. छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव कहते थे कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अकेला चलना हो, तो चल पड़िए.

जब आजादी का आंदोलन चरम पर था, तब बंगाल उसे दिशा दे रहा था. मोदी ने कहा कि हमारा विकास वैश्विक होता है, गुरुदेव का संदेश ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है. पीएम कहा कि गुरुदेव ने राष्ट्रवाद की तस्वीर भी सामने रखी. ‘इसके अलावा पीएम ने बंगाल के दो और महापुरुष रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद को भी याद किया’.

मोदी ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस के कारण देश को स्वामी विवेकानंद मिले, स्वामी जी भक्ति-ज्ञान और कर्म को अपने में समाए हुए थे. भक्ति आंदोलन के बाद कर्म आंदोलन आगे बढ़ा. पीएम मोदी कहा कि वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद में मुखर थी.

बता दें कि साल 1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती देश की सबसे पुरानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है. मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था. आज इस विश्वविद्यालय में देश-विदेश से हजारों छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं. अब आपको बताते हैं पीएम ने टैगोर का गुजरात से रिश्ता कैसे निकाला.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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