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बजट विशेष: निजीकरण के विरोध में विपक्ष के साथ सरकारी कर्मचारियों का सड़क पर फूट सकता है गुस्सा

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आमतौर पर देखा गया है कि सरकारी निजीकरण को लेकर कभी भी हिम्मत नहीं दिखा पाती हैं. लेकिन इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘डंके की चोट’ पर बता दिया कि अब आने वाला भारत निजीकारण को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.

अभी केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध खत्म नहीं हुआ है, दिल्ली में हजारों किसान केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलित हैं. अब आने वाले दिनों में विपक्ष नेताओं के साथ सरकारी कर्मचारी भी निजीकरण के विरोध में सड़क पर कूद सकते हैं.

बजट के बाद विपक्ष का आरोप है कि भाजपा सरकार निजीकरण और ‘एसेट मॉनिटाइजेशन’ के द्वारा अपने पुरखों की पसीने की कमाई से बनाई हुई जायदाद को बेच रही है. बता दें कि इन दिनों संसद में बजट सत्र भी चल रहा है, केंद्र सरकार ने विपक्ष को बजट में निजीकरण को बढ़ावा देने का एक बैठे-बिठाए मुद्दा भी थमा दिया है.‌

इसी तरह तमाम सेक्टर में संपत्तियों को बेचने या लीज पर देने से कमाई के प्रावधान, एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को बेचने, रणनीतिक और गैर रणनीतिक क्षेत्र में सार्वजनिक कंपनियों का विनिवेश ऐसे एलान हैं जिन पर इन कंपनियों के कर्मचारी और यूनियन सड़क पर उतर सकते हैं.

केंद्र की भाजपा सरकार ने नया बजट पूरी तरह से कोरोना काल के बाद बिगड़ी देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए पिरोया गया है. अब तक की सरकारें निजीकरण के नाम से डरती थीं, लेकिन इस सरकार ने विनिवेश की बजाय निजीकरण के प्लान का एलान करके हिम्मत दिखाई है.

सरकार इसके जरिए रेलवे, एयरपोर्ट, नेशनल हाईवे, स्पोर्ट्स स्टेडियम से पैसा बना सकती है. कोविड महामारी के चलते जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के लिए सरकार ने बजट में बहुत से कदम उठाए हैं, दूसरी ओर इस बजट के बाद शेयर बाजार में आया उछाल बताता है कि बिजनेस क्लास को बजट अच्छा लगा है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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