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चित्रकूट में चिंतन: धार्मिक नगरी में संघ की बैठक में राजनीतिक हलचल, योगी सरकार की टटोली जाएगी ‘नब्ज’

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आइए आज आपको मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की ‘तपोभूमि’ लिए चलते हैं. अयोध्या के बाद इस धार्मिक नगरी को भी प्रभु राम के त्याग और तपस्या के रूप में जाना जाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं चित्रकूट की. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित यह धार्मिक नगर मंदाकिनी नदी की कलकल बहती धारा पर बसा हुआ है. 14 साल के ‘वनवास’ में अधिकांश समय प्रभु श्री राम ने यहीं बिताया था इसी को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु चित्रकूट आते हैं. यहां कई साधु, संन्यासियों के आश्रम भी हैं.

यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या रही है कि यह शहर दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बंधन में ‘जकड़ा’ हुआ है. यहां की आम समस्याओं के लिए भी चित्रकूट वासी असमंजस में रहते हैं कि वह अपनी ‘फरियाद’ कौन सी राज्य सरकारों के सामने कहें. ऐसे ही कई घटनाओं पर भी यूपी-एमपी की पुलिस भी ‘उलझी’ रहती है. खैर यह तो मुद्दा चलता ही रहेगा. लेकिन आज हम चर्चा करने जा रहे हैं चित्रकूट में एक बार फिर से संघ की बैठक के बाद राजनीति जगत में भी ‘हलचल’ बढ़ी हुई है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का चिंतन शिविर आज से चित्रकूट के पंडित दीनदयाल शोध संस्थान आरोग्यधाम शुरू हो गया.

9-10 जुलाई को 11 क्षेत्रों के ‘क्षेत्र प्रचारक’ और सह क्षेत्र प्रचारकों की बैठक होगी . इसमें विशेष रूप से सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सभी पांचों सहसरकार्यवाह उपस्थित रहेंगे. संघ के सातों कार्य विभाग के अखिल भारतीय प्रमुख और सह प्रमुख भी सहभागी होंगे. 12 जुलाई को देशभर के संघ रचना के अनुसार सभी 45 प्रांतों के प्रांत प्रचारक और सह प्रांत प्रचारक ऑनलाइन जुड़ेंगे.

13 जुलाई को विविध संगठन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बैठक से जुड़ेंगे. बैठक में यूपी और एमपी दोनों ही राज्यों के बीजेपी नेता भी पहुंच सकते हैं और सरकार के मंत्रियों के भी पहुंचने की संभावना हैै. बैठक के लिए संघ प्रमुख भागवत और सर सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले दो दिन पहले ही चित्रकूट पहुंचे . आरएसएस की यह बैठक यहां हर साल होती है, लेकिन पिछले साल कोविड-19 की वजह से यह रद कर दी गई थी. ‘यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं’. इस बैठक में योगी सरकार के कामकाज की ‘नब्ज टटोली’ जाएगी.

संघ काफी समय से उत्तर प्रदेश को लेकर सक्रिय है. पिछले दिनों योगी सरकार मे मची ‘उठापटक’ के बीच संघ के शीर्ष नेताओं ने लखनऊ आकर कई बार बैठक की. संघ के दूसरे नंबर के शीर्ष नेता दत्तात्रेय होसबोले को दो बार लखनऊ आकर लंबी बैठक भी करनी पड़ी थी. इसके अलावा बीएल संतोष, सुनील बंसल ने भी कई दिनों तक लखनऊ में डेरा जमाए रखा था. ऐसे में संघ की पांच दिवसीय बैठक पर सभी की निगाहें हैं.

आरएसएस प्रमुख भागवत के चित्रकूट पहुंचने से पहले से ही कई मंत्रियों ने डेरा डाल रखा है. माना जा रहा है कि इस बैठक में तमाम सामाजिक और देश के अन्य मुद्दों पर मंथन किया जाएगा. धर्मांतरण से लेकर राम मंदिर निर्माण पर भी चर्चा होगी.

भागवत के हिंदू-मुस्लिम डीएनए बयान पर राम भद्राचार्य ने जताई नाराजगी
यहां हम आपको बता दें कि पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गाजियाबाद में कहा था हिंदू और मुसलमान का ‘डीएनए’ एक है. इस बयान के बाद भागवत विपक्ष और अपनों से ही ‘घिर’ गए . इसका संघ में ही आंशिक रूप से ‘विरोध’ भी देखने को मिला.

इसके साथ विपक्ष के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, बसपा प्रमुख मायावती, असदुद्दीन ओवैसी आदि नेताओं ने मोहन भागवत के बयान पर निंदा कर सवाल उठाए थे. गुरुवार को जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने तुलसी पीठ में राम भद्राचार्य से मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर खुलकर बात की.

राम भद्राचार्य ने संघ प्रमुख से ही उनके डीएनए वाले बयान पर ‘नाराजगी’ जताते हुए कहा कि बयान अनुकूल नहीं था. ‘रामभद्राचार्य ने यूपी में योगी सरकार के कामकाज पर चर्चा करते हुए कहा कि उनका काम अच्छा नहीं है, योगी का काम केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है, धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है’.

रामभद्राचार्य यहीं नहीं रुके वे बोले-यूपी के जिला पंचायत चुनाव से मैं संतुष्ट नहीं हूं, फिर भी यूपी में अगली सरकार भाजपा की ही बनेगी. उन्होंने संघ प्रमुख से कहा कि हिंदी को अब ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित किया जाए और गोहत्या पर पूरी तरह रोक लगाई जाए.

साथ ही उन्होंने कहा कि चित्रकूट को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बंधन से ‘मुक्त’ किया जाना चाहिए. इसे किसी एक प्रदेश में रखने से समस्याओं का निस्तारण जल्द होगा. अब देखना है संघ की इस बैठक में मोहन भागवत का मुस्लिमों को लेकर आगे क्या रुख रहता है.

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