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चमोली त्रासदी के बाद ऋषिकेश पावर प्रोजेक्ट का निर्माण सवालों के घेरे में

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चमोली त्रासदी

चमोली त्रासदी में सबसे बड़ी तबाही ऋषिकेश पावर प्रोजेक्ट को हुई. यहीं पास बनी टनल (सुरंग) में अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ समेत कई एजेंसियां हादसे के बाद से ही जुटी हुई हैं.

उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने के बाद हुई तबाही की वजहों पर चर्चा तेज है, अब यह पावर प्रोजेक्ट भी सवालों के घेरे में है. ऋषि गंगा नदी पर यह प्रोजेक्ट चल रहा था. यहां हम आपको बता दें कि ‘उत्तराखंड में आपदाओं के बाद हमेशा ही नदियों पर बने बड़े बांधों और पावर प्रोजेक्ट्स पर उंगली उठती रही है.

सुप्रीम कोर्ट तक इस पर चिंता जता चुका है.लेकिन इसके बावजूद भी इसे रोकने के लिए न तो राज्य न केंद्र सरकार द्वारा कोई पहल की गई. ऋषि गंगा नदी धौली गंगा में मिलती है.ग्लेशियर टूटने की वजह से इन दोनों नदियों में पानी का स्तर बढ़ गया और बाढ़ जैसे हालात हो गए.

उत्तराखंड के चमोली जनपद में लगभग 10 वर्षों से इस बिजली परियोजना का निर्माण किया जा रहा है.‌ ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन के लिए चलाया जा रहा एक प्राइवेट प्रोजेक्ट है, इसको लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था. यहां पर पानी से बिजली पैदा करने का कम चल रहा था.

केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा के बाद इस बिजली परियोजना को बंद करने की मांग की गई थी. बता दें कि पहले भी इस प्रोजेक्ट का काफी विरोध हुआ और पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों ने इसे बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था, उसके बावजूद यह प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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