सीजेआई बोबडे के रिटायरमेंट के दिन हुआ बड़ा खुलासा, वह अयोध्या मामले में शाहरुख खान को भी बनाना चाहते थे मध्यस्थ

अयोध्या मामले का समाधान निकल चुका है. राम मंदिर के भव्य निर्माण का काम भी शुरू हो चुका है. इन सबके बीच एक रोचक जानकारी फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के संबंध में आई.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर वकील विक्रम सिंह ने कहा कि सीजेआई रहे एस ए बोबड़े, शाहरुख खान को अयोध्या विवाद में मध्यस्थ बनाना चाहते थे. बता दें कि 2019 में रंजन गोगोई वाली पीठ में एस ए बोबड़े सदस्य थे.

चीफ जस्टिस के विदाई समारोह के मौके पर इस संबंध में खुलासा हुआ. एस ए बोबड़े चाहते थे कि शाहरुख खान भी अयोध्या भूमि विवाद के समाधान की मध्यस्थता प्रक्रिया का हिस्सा हों. विदाई वाले दिन निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि वह खुशी, सद्भाव और बहुत अच्छी यादों के साथ सुप्रीमकोर्ट से विदा ले रहे हैं और इस संतोष है कि उन्होंने अपना बेहतर काम किया है.

विक्रम सिंह ने कहा कि शाहरुख खान भी इसके लिए सहमत थे लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी. जब अयोध्या मामले की सुनवाई के शुरुआती चरण में थे तब उनका यह दृढ़ मत था कि समस्या का समाधान मध्यस्थता के जरिए हो सकता है. जहां तक अयोध्या विवाद की बात है, मैं आपको अपने और न्यायमूर्ति बोबड़े का एक राज बताता हूं.

जब वह सुनवाई के शुरुआती दौर में थे उन्होंने पूछा कि था कि क्या शाहरुख खान समिति का हिस्सा हो सकते हैं. क्योंकि वह जानते थे कि मैं खान के परिवार को जानता हूं. मैंने खान से इस मामले पर चर्चा की और वह इसके लिये सहमत थे.

विक्रम सिंह कहते हैं कि खान ने यहां तक कहा कि मंदिर की नींव मुसलमानों द्वारा रखी जाए और मस्जिद की नींव हिंदुओं द्वारा. लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया विफल हो गई और इसलिये यह योजना छोड़ दी गई. सांप्रदायिक तनाव को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की उनकी इच्छा जबरदस्त थी.

मध्यस्थता समिति में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू थे.

न्यायमूर्ति बोबडे को नवंबर 2019 में देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई थी और वह शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गए. उन्होंने अपने कार्यकाल में अयोध्या जन्मभूमि के ऐतिहासिक फैसले समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय किए. न्यायमूर्ति बोबडे ने कोरोना वायरस महामारी के अभूतपूर्व संकट के समय भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व किया और वीडियो कॉन्फ्रेंस से शीर्ष अदालत का कामकाज कराया.




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