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उत्तराखंड: बागेश्वर के सक्षम ने रचा इतिहास, बने शतरंज के इंटरनेशनल मास्टर

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सक्षम रौतेला

बागेश्वर|उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रहने वाले 16 साल के शतरंज खिलाड़ी सक्षम रौतेला को विश्व शतरंज संस्था फीडे ने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) के खिताब से नवाजा है. सक्षम यह खिताब पाने वाले प्रदेश के पहले खिलाड़ी हैं.

वहीं, मौजूदा समय में वह देश के चुनिंदा 125 आई में शामिल हो गए हैं. वर्तमान में उनकी फीडे रेटिंग 2480 है. वह देश के टॉप 50 खिलाड़ियों में शामिल होने के साथ ही उत्तर भारत के एकमात्र आईएम हैं. 

सक्षम ने दिसंबर 2019 में आईएम का अपना पहला नॉर्म पूरा किया. इस साल जनवरी में उन्होंने दूसरा नार्म पूरा किया.

फरवरी 2020 में बोस्निया शहर के बिल्येनिया में आईएम प्रतियोगिता में खेलते हुए 7.5 अंक हासिल करने के साथ ही उन्होंने तीसरा व अंतिम नॉर्म भी हासिल कर लिया.

अब फीडे की तीन माह में होने वाली बैठक में उनके आईएम खिताब को मान्यता मिलनी रह गई थी, जो कि सितंबर माह में होनी थी.

मीटिंग के बाद आठ अक्तूबर को फीडे ने उन्हें आईएम खिताब से नवाजा है. यहां बता दें कि आईएम बनने के लिए किसी भी खिलाड़ी को 2400 से ज्यादा की रेटिंग और तीन आईएम नार्म पूरे करने होते हैं.

ऑल इंडिया चेस फेडरेशन (एआईसीएफ) की  आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में भारत में 66 ग्रैंड मास्टर और 125 इंटरनेशन मास्टर हैं. इनमें  सक्षम रौतेल भी शामिल हैं. 

कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल बागेश्वर के 12वीं कक्षा के छात्रा सक्षम रौतेला ने वर्ष 2012-13 में शतरंज खेलना शुरू किया था. सक्षम ने बताया कि साल 2019 उनके लिए बहुत निर्णायक रहा.

क्योंकि एक तरफ हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा थी तो दूसरी ओर शतरंज में वह काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे और उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस साल वह अपना आईएम टाइटल प्राप्त कर लेगें.

इसके लिए पढ़ाई के साथ ही उन्होंने शतरंज की प्रैक्टिस जारी रखी, जिसका परिणाम उन्हें आईएम के रूप में मिला. सक्षम रौतेला ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता किरन रौतेला और पिता बालम सिंह रौतेला और अपने शतरंज कोचों को देते हैं.

कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने तक पहुंचाने के लिए काफी कुछ त्याग किया है. समक्ष के पिता बालम सिंह रौतेला ने बताया कि शतरंज में बेटे का करियर बनाने के लिए उनके परिवार को राज्य छोड़कर दिल्ली में जाकर बसना पड़ा.

 समक्ष ने अपने शतरंज कैरियर में देश-विदेश में अब तक विभिन्न आयुवर्ग में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शतरंज टूर्नामेंट जीत चुके हैं. समक्ष ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि उनका अगला लक्ष्य ग्रैंड मास्टर(जीएम) बनना है.

अभी कोरोना के चलते कई टूर्नामेंट रद्द हो गए हैं और इस साल 12वीं की  बोर्ड परीक्षा होने से वह फिलहाल पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं.

इसके बाद फिर से अपने अगले लक्ष्य के लिए जुट जाएंगे.  उनके छोटे भाई सद्भव भी शतरंज में अंडर-7 और अंडर-9 में कई राज्य और राष्ट्रीय खिताब जीत चुके हैं.

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