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ड्रामाई इस्तीफे के बाद पलटे शरद पवार, 4 दिनों के भीतर फिर संभाली एनसीपी की कमान

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शरद पवार ने एनसीपी (NCP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस लिया. उन्होंने शुक्रवार (5 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा, “मैं आपकी भावनाओं का अपमान नहीं कर सकता. मैं भावुक हो गया हूं और अपना फैसला वापस ले रहा हूं.”

एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि 2 मई को मैंने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया था. ऐसा लगा था कि मेरी कई सालों की सेवा के बाद मुझे रिटायर होना है.

पवार ने कहा कि इसके बाद एनसीपी के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को दुख हुआ. इस निर्णय पर दोबारा से विचार करूं इसलिए मेरे हितचिंतक और कार्यकर्ताओं व चाहने वालों ने आग्रह किया. इसी के साथ कार्यकर्ताओं ने मुझे कहा कि मैं अध्यक्ष पद फिर से वापस लूं. मेरी तरफ से लोगों की भावनाओं का अनादर नहीं हो सकता.

शरद पवार ने आगे कहा कि इन सबसे मैं भावुक हो गया हूं, सबके आह्वान और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं के कहने के बाद और सबकी भावनाओं पर विचार कर मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने का अपना फैसला वापस लेता हूं. मैं फिर से अध्यक्ष पद स्वीकार रहा हूं. शरद पवार के अध्यक्ष पद वापस लेने की घोषणा के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने मुंबई में वाईबी चव्हाण केंद्र के बाहर जोरदार जश्न मनाया.

उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कई लोगों ने मुझे विनती की जिसमें कई राष्ट्रीय पक्ष के नेताओं का भी समावेश है. उत्तराधिकारी के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि यहां जो बैठे हैं वो सभी देश को संभाल सकते हैं. उन्हें मौका मिलने की देरी है. रिटायरमेंट पर शरद पवार ने कहा कि मुझे पूरा अंदेशा था कि अगर मैं इन सबसे चर्चा करूंगा तो ये लोग मुझे ऐसा करने नहीं देंगे. जिस वजह से मुझे इस तरह से अपना फैसला सुनाना पड़ा था.

गौरतलब है कि शरद पवार ने बीती 2 मई को एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. पवार ने पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक समिति का गठन किया था.

जिसमें उनके भतीजे अजित पवार, बेटी सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल थे. उनके इस एलान के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध किया था. साथ ही कई पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए पवार ने अपने फैसले पर विचार करने के लिए दो-चार दिन का समय मांगा था.
















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