उत्तराखंड में 12 वर्षों के बाद पानी बिल प्रणाली में बड़ा बदलाव किया जा रहा है। अब उपयोगकर्ता को साधारण संपत्ति कर की तरह, पानी की खपत के आधार पर बिल देना होगा, जिससे पारदर्शिता और वसूली बेहतर होगी।
नई व्यवस्था के तहत शहरी क्षेत्रों में सिर्फ संपत्ति कर के आधार पर बिल तय किया जाएगा जबकि ग्रामीण एवं पेरी-उर्बन क्षेत्रों में एक समान दर लागू होगी। अब ‘एक, दो, या चार टोंटी’ मॉडल समाप्त होगा। एक शहरी आधारशिला (base tariff) तय कर उसे 5% सालाना वृद्धि की सीमा में रखा जाएगा—पहले यह 9–11% थी। शुरुआती बेस दर में शहरी उपभोक्ताओं के लिए रकम ₹192–900 से बढ़ाकर ₹220–1200 तथा ग्रामीणों के लिए ₹117–140 तक बढ़ाई जा सकती है, लेकिन अभी यह विचाराधीन है।
वाटर मीटर वाले उपभोक्ता केवल उपयोग पर बिल प्राप्त करेंगे—पहले 20,000 लीटर तक कोई शुल्क नहीं, और हर अतिरिक्त 1,000 लीटर पर ₹40 चार्ज होगा। इस नई प्रणाली से जुड़ी सभी पेयजल एजेंसाओं—जैसे जल संस्थान, निगम और ग्राम-सरकारों—पर समान प्रणाली लागू होगी।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह बदलाव उपभोक्ताओं के लिए सरल और उचित बिलिंग प्रणाली लाएगा, और जल उपयोग पर बेहतर नियंत्रण सुनिश्चित करेगा। प्रस्तावित ड्राफ्ट अब अंतिम कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजा जाएगा ।