टेरर फंडिंग मामला: अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा, लगा 10 लाख रुपये का भी जुर्माना

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में दोषी करार दिए जा चुके अलगाववादी यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने अपना फैसला सुनाएगा.

फैसले के मद्देनजर कोर्ट के बाहर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. इससे पहले सजा सुनाने के के लिए कोर्ट रूम लाए गए यासीन मलिक ने कोर्ट से कहा, ”मैं कुछ नहीं कहूंगा, आपको जो सज़ा देनी है दे दीजिये.”

इससे पहले एनआईए ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया. यासीन मलिक ने अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था.

-यासीन मालिक ने कोर्ट में कहा कि मैं कुछ नहीं कहूंगा आपको जो सज़ा देना है दे दीजिये.

-टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही 10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.

-कोर्ट रूम की जांच डॉग स्क्वॉड के जरिए की जा रही है, सजा के ऐलान के पहले सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं.

-कोर्ट रूम के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. एनआईए ने मौत की सजा की मांग की है.

-टेरर फंडिंग में दोषी पाए गए यासीन मलिक को अब से कुछ देर में अदालत सजा सुनाएगी.
–पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के मद्देनजर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. यासीन मलिक के आस-पास सुरक्षा का बड़ा घेरा है.

एनआईए ने स्पेशल जज प्रवीण सिंह की अदालत के समक्ष जहां फांसी की सजा की मांग की, वहीं, यासीन मलिक की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने उसे इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया. इस बीच, यासीन मलिक ने न्यायाधीश से कहा कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है. अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था. उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे.

मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता. इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं.

अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे. लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है.



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