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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचाए बिना कराया जाए सर्वे

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ज्ञानवापी मस्जिद

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस याचिका में मस्जिद के वजूखाने की सर्वे की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए सर्वे करने का निर्देश दिया जाए. वजूखाने में शिवलिंग जैसी रचना मिलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस जगह को सील कर दिया गया है.

हिंदू पक्ष वजूखाने को काशी विश्वनाथ का मूल शिवलिंग मानता है. याचिका में बताया गया है कि बाकी परिसर का सर्वे एएसआई कर चुका है. सिर्फ यही जगह बाकी है. इसलिए अब हिंदू पक्ष की तरफ से याचिका दायर कर इसकी भी सर्वे की मांग की गई है. हिंदू पक्ष की तरफ से वजूखाने के सर्वे की मांग ऐसे समय पर की गई है, जब 20 जनवरी को इसकी सफाई की गई थी. वजूखाने में मछलियां मर गई थीं, जिसके बाद इसकी सफाई कर उन्हें बाहर निकाला गया.

वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट तैयार हो चुकी है. वाराणसी की जिला अदालत ने पिछले हफ्ते इस रिपोर्ट को सभी पक्षों को सौंपने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष ने कहा थआ कि सर्वे रिपोर्ट को सिर्फ पक्षकारों को ही दिया जाए. इस सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए. पिछले साल अदालत के आदेश के बाद 21 जुलाई को एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया था, जिसकी रिपोर्ट पिछले हफ्ते सामने आई.

दूसरी ओर हिंदू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण एक पुराने मंदिर के अवशेषों पर किया गया. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में किया गया. उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासनकाल था और उसने एक पुराने मंदिर को ध्वस्त कर यहां पर मस्जिद का निर्माण करवाया था.

विष्णु जैन ने दावा किया एएसआई की टीम जब मंदिर के भीतर सर्वे करने गई तो उसे इसके भीतर तहखानों में मूर्तियों के अवशेष मिले हैं. उन्होंने कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए जिन स्तंभों और पिलरों का इस्तेमाल किया गया है, वे पहले से मौजूद मंदिर के हैं. उन्होंने बताया कि मस्जिद की पीछे की दीवार तो एक मंदिर की दीवार है.



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