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दिल्ली हिंसा: रिपोर्ट दर्ज होने के बाद किसान संगठनों के बीच पड़ने लगी दरार

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दिल्ली पुलिस के एक्शन और कार्रवाई के बाद किसान संगठनों के पैर उखड़ने लगे हैं. यही नहीं अब दो किसान नेताओं के बीच आपस में दरार भी पड़ना शुरू हो गई है. पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू होने के बाद ही किसान संगठनों के आंदोलन से हटने का सिलसिला शुरू हो गया.

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने खुद को आंदोलन से अलग कर लिया. भारतीय किसान यूनियन (भा.कि.यू) ने भी आंदोलन से हटने का एलान कर दिया है. राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मुखिया वीएम सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए.

वहीं भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह कहां की मैं अभी इस धरने को खत्म करता हूं. उन्होंने कहा कि किसान हल चलाता है, कुछ लोगों ने उन्हें पागल बना दिया. वे किसी ऐसे नेता के चक्कर में न पड़ें, जो अपना नाम बनाने के लिए देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं.

दूसरी ओर दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान लालकिले पर तिरंगे की जगह अन्य झंडा फहराए जाने के बाद दहिया खाप के प्रधान सुरेंद्र दहिया ने कहा है कि जल्द ही सर्वखाप की पंचायत बुलाकर किसान यूनियनों को दिए गए नैतिक समर्थन पर विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर इस बात को सहन नहीं किया जा सकता है कि लालकिले पर तिरंगे की जगह कोई और झंडा दिखाई दे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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