Home एक नज़र इधर भी नव वर्ष विशेष: जीने की राह में बेशुमार मुश्किलें खड़ी की हों...

नव वर्ष विशेष: जीने की राह में बेशुमार मुश्किलें खड़ी की हों लेकिन हालातों से लड़ना भी सिखा गया यह साल

0

आज की तारीख को देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में शायद ही कोई ऐसा होगा जो याद न करे, क्योंकि यह तारीख बदलाव की कड़ी मानी जाती है. ‘इस तारीख के बाद वर्ष बदलता है, शताब्दी भी बदलती रही है. जी हां, आपने सही पहचाना आज 31 दिसंबर है.

यानी ये साल 2020 अब चंद घंटों में आपसे विदा लेने के लिए तैयार है और नया वर्ष 2021 कई उम्मीदों के साथ शुरू होने जा रहा है’. सही मायने में यह वर्ष बहुत ही दहशत भरा रहा, जिसने लोगों को एकदम बदल कर रख दिया. अब हम आपको एक साल पीछे लिए चलते हैं.

पिछले वर्ष जब 1 जनवरी को 2020 ने दस्तक दी थी तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं और बधाई देते हुए ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है. यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा, इस नव वर्ष में सब स्वस्थ रहें और सबकी आकांक्षाएं पूरी हों.’

लेकिन 2020 ने पीएम मोदी की नहीं सुनी. खुशी और संपन्नता तो दूर, आटा-दाल से लेकर मूलभूत वस्तुओं तक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगानी पड़ी. यही नहीं कोरोना महामारी को भगाने के लिए पूरा देश थाली और ताली पीटता रहा, उसके बावजूद सभी आकांक्षाएं धरी की धरी रह गईं. सही मायने में यह साल संकटों से भरा रहा.

‘बता दें कि इस महामारी ने हमें भले ही कितना भी डराया क्यों न हो लेकिन सिखाया भी बहुत है’, कोरोना ने लोगों को स्वस्थ शरीर का महत्व समझा दिया, खुद को सिर्फ स्वस्थ ही नहीं, शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट बनाना लोगों की प्राथमिकता बन गई.

जो कसरत या योग को बोझ समझते थे, अब उन्होंने अपनी जिंदगी में शुमार कर लिया है या कहें उसी के अनुरूप ढल गए हैं. इस साल ने जीने की राह में भी बेशुमार मुश्किलें खड़ी कीं. अर्थव्यवस्थाएं फेल हो गईं, नौकरी रोजगार छिन गए.

साल भर भारत में बाढ़, तूफान, भूकंप के झटके डराते रहे. पड़ोसी मुल्क से सीमा पर खूनी झड़प हुई. इन सभी मुश्किल हालातों के बावजूद भी जिंदगी ने हमें बहुत कुछ सिखाया.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version